रांची: प्रदेश कांग्रेस ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई जनजातीय सलाहकार परिषद (टीएसी) की बैठक में भाजपा विधायकों की ओर से हिस्सा नहीं लेने के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण एवं जनजातीय समुदाय के हितों के प्रतिकूल बताया है।
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे, लाल किशोरनाथ शाहदेव और राजेश गुप्ता ने सोमवार को कहा कि जब-जब गठबंधन सरकार आदिवासियों-मूलवासियों के संरक्षण और उनके विकास की बात करती है, तो भाजपा नेताओं के पेट में दर्द होने लगता है।
किसी भी तरह से विकास के काम में अड़ंगा लगाना शुरू कर देते हैं। जनजातीय समाज के विकास में टीएसी की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती है।
पहले भाजपा नेताओं के इशारे पर इसे राजभवन द्वारा महीनों दबा कर रखा गया है और जब राज्य सरकार ने नये नियमावली के तहत सदस्यों के मनोनयन का अधिकार राज्यपाल से लेकर मुख्यमंत्री को सौंपते हुए टीएसी गठन का मार्ग प्रशस्त किया गया, तो भाजपा नेताओं को यह बात हजम नहीं हो रही है।
आदिवासियों के विकास में तरह-तरह के रोड़ा अटकाने का काम किया जा रहा है।
भाजपा नेताओं ने आज यह तर्क देते हुए कहा टीएसी की बैठक का बहिष्कार किया कि इस समिति का अध्यक्ष मुख्यमंत्री नहीं, बल्कि आदिवासी रहना चाहिए।
अब यह आम लोगों को भी समझ में नहीं आ रहा है, जब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खुद आदिवासी है, तो फिर भाजपा सदस्यों ने किस बात का एतराज करते हुए बैठक का बहिष्कार किया है।