Sarhul Mahaparv: बिरसा विकास जनकल्याण समिति, मिसिर गोंदा ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) से सरहुल महापर्व के अवसर पर 31 मार्च से 2 अप्रैल तक तीन दिवसीय राजकीय अवकाश घोषित करने की अपील की है।
समिति का कहना है कि यह पर्व झारखंड की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान से जुड़ा हुआ है, इसलिए इसे विशेष मान्यता दी जानी चाहिए। इससे पहले सांसद सुखदेव भगत (Sukhdev Bhagat) ने भी संसद में सरहुल को राष्ट्रीय अवकाश घोषित करने की मांग उठाई थी।
तीन दिवसीय आयोजन का कार्यक्रम
सरहुल महापर्व (Sarhul Mahaparv) के तहत 31 मार्च को उपवास रखा जाएगा और परंपरागत रीति-रिवाज के अनुसार केकड़ा-मछली पकड़ने की रस्म निभाई जाएगी। शाम को कांके डैम पार्क स्थित सरना स्थल में जल रखाई पूजा होगी।
1 अप्रैल को सुबह सरना स्थल पर पूजा-अर्चना के बाद दोपहर में मिसिर गोंदा से सिरमटोली सरना स्थल तक भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी। इस शोभायात्रा में हजारों श्रद्धालु पारंपरिक वेशभूषा में शामिल होंगे।
2 अप्रैल को फूलखोंसी पूजा के साथ महापर्व का समापन होगा, जहां श्रद्धालु प्रकृति देवी को पुष्प अर्पित करेंगे और पारंपरिक रीति-रिवाजों का पालन करेंगे।
आदिवासी समाज की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने की मांग
समिति का कहना है कि सरहुल केवल धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और आदिवासी समाज की सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक भी है। सरकार को इसे मान्यता देकर तीन दिवसीय अवकाश घोषित करना चाहिए।