रांची: एदार-ए-शरिया झारखंड का एक प्रतिनिधि मंडल नाजिमे आला मौलाना कुतुबुद्दीन रिजवी के नेतृत्व में राज्यपाल से मिल कर अपनी मांग को रखा।
प्रतिनिधि मंडल में समाजिक कार्यकर्ता जाकिर अख्तर रामगढ़, अंजुमन लोहरदगा के अध्यक्ष हाजी अफसर कुरैशी शामिल थे।
एदार ए शरीया झारखंड के प्रतिनिधि मंडल ने महामहिम राज्यपाल महोदया को दिए गए मांग पत्र में कहा है कि झारखंड राज्य में लगभग 186 अनुदानित मदरसे हैं जिन में 7-10 मदरसे आलिम-फाजिल स्तर के हैं और अनुदान रहित निबंधित मदरसे लगभग 592 हैं दिन में 40- 50 मदरसे आलिम-फाजिल स्तर के हैं, जब कि सैकडों मदरसों के निबंधित मामले वर्षों से जैक में लम्बित हैं।
राज्य के सभी मदरसों में झारखंड अधिविध परिषद द्वारा निर्धारित पाठ्यकर्मों के अनुसार वस्तानिया वर्ग से लेकर फाजिल वर्ग तक की पढ़ाई हो रही है।
झारखंड अधिविध परिषद ही वस्तानिया, फोकानिया, मौलवी, आलिम और फाजिल की परीक्षा ले रहा है।
आलिम और फाजिल वर्ग उच्च शिक्षा की श्रेणी में है जिसकी परीक्षा नियमतह विश्वविद्यालय स्तर पर होनी चाहिए परंतु कोई व्यवस्था ना होने के कारण काउंसिल से ही आलिम, फाजिल वर्गों की परीक्षा ली जाती है।
आलिम व फाजिल क्रमानुसार बी ए, बी ए ऑनर्स, एम ए के समकक्ष है।
परंतु सदियों से आलिम व फाजिल उत्तीर्ण छात्र -छात्राओं को यूजीसी मापदंड पर मान्यता नहीं है।
फलस्वरूप आलिम, फाजिल उत्तीर्ण छात्र व छात्राएं शैक्षणिक लाभों से वंचित हो रहे हैं।
साथ ही प्रमुख मांगो में स्वतंत्रता सेनानी शेख भिखारी की कुर्बानियों की याद ताजा करते करते हुए रांची में शेख भिखारी अरबी- फारसी विश्वविद्यालय स्थापित करते हुए आलिम और फासिल वर्ग को उससे संबंधित कर दिया जाए, जब तक अरबी- फारसी विश्वविद्यालय का गठन नहीं होता तब तक राज्य की विभिन्न कमिश्नरीयों में स्थापित विश्वविद्यालयों में कमिश्नरी वॉइज आलिम व फाजिल की परीक्षा ली जाए एवं छात्र- छात्राओं को सनद दी जाए, रांची यूनिवर्सिटी से ही राज्य भर में स्थापित आलिम व फाजिल स्तर के लभी मदरसों को रांची विश्वविद्यालय से संबंधित कर संचालित किया जाए।