रांची: प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएलएफआई) के शनिचर सुरीन एनकाउंटर में शामिल 26 पुलिस अधिकारियों व जवानों को डीजीपी नीरज सिन्हा ने सोमवार को सम्मानित किया।
पुलिस मुख्यालय में आयोजित कार्यक्रम में डीजीपी नीरज सिन्हा ने रांची रेंज के डीआईजी पंकज कंबोज, एसटीएफ डीआईजी अनूप बिरथरे, खूंटी एसपी आशुतोष शेखर, एसआईबी एसपी शिवानी तिवारी, लातेहार एसपी प्रशांत आनंद सहित 26 पुलिस अधिकारी व जवानों को डीजीपी नीरज सिन्हा के द्वारा प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।
इन अधिकारियों और पुलिसकर्मियों को किया गया सम्मानित
रांची रेंज के डीआईजी पंकज कंबोज, एसटीएफ डीआईजी अनूप बिरथरे, खूंटी एसपी आशुतोष शेखर, एसआईबी एसपी शिवानी तिवारी, लातेहार एसपी प्रशांत आनंद, तोरपा एसडीपीओ ओम प्रकाश तिवारी, तोरपा अंचल इस्पेक्टर दिग्विजय सिंह, रनिया थाना प्रभारी रौशन कुमार सिंह,संदीप कुमार, बुलु भगत, चंदन कुमार, सचेन्द्र सिंह,रामाधार सिंह, मनोज कुमार राम, ठनकु उरांव, उमेश प्रधान,उमेश महतो, ललित सिंह, आनंद कुमार, चंदन कुमार, सकलदीप कुमार, मंटू प्रधान, अनुप लकड़ा, नरेश चंद्र बोदरा, दुर्गा उरांव और खूंटी एएसपी रमेश कुमार शामिल थे।
नक्सलियों के खिलाफ चलेगा लगातार अभियान
डीजीपी ने कहा कि नक्सलियों के खिलाफ लगातार अभियान जारी रहेगा। उन्होंने नक्सलियों से अपील करते हुए कहा कि नक्सली हिंसा का रास्ता छोड़कर समाज की मुख्य धारा में लौटे।
सरकार की आत्मसमर्पण नीति के तहत आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति का लाभ उठाये। उन्होंने कहा कि पुलिस टीम ने बेहतर कार्य किया है।
अभियान के दौरान 15 जुलाई को गुमला जिले के नक्सल प्रभावित कुरुमगढ़ क्षेत्र के जंगल में भाकपा माओवादी के रिजनल कमांडर 15 लाख के इनामी रिजनल कमांडर बुद्धेश्वर उरांव और 16 जुलाई की रात खूंटी- चाईबासा जिले के सीमावर्ती क्षेत्र में पीएलएफआई उग्रवादियों के साथ हुई मुठभेड़ में 10 लाख का इनामी शनिचर सुरीन मारा गया था।
शनिचर सुरीन पर दर्ज थे 84 मामले
पुलिस को 84 मामले में पीएलएफआई उग्रवादी शनिचर सुरीन की तलाश थी। एसपी आशुतोष शेखर को मिली गुप्त सूचना के आधार पर पुलिस टीम द्वारा चलाए गए सर्च अभियान के दौरान हुई मुठभेड़ में शनिचर सुरीन मारा गया।
मूल रूप से गुमला के कामडारा थाना क्षेत्र का रहने वाला शनिचर पीएलएफआई का जोनल कमांडर था। उस पर 10 लाख रुपये इनाम घोषित था।
शनिचर सुरीन के खिलाफ हत्या, हत्या का प्रयास, रंगदारी, आगजनी, पुलिस पर हमला और अन्य नक्सली घटनाओं से संबंधित कुल 84 मामले दर्ज थे। इनमें खूंटी में 32 चाईबासा में 50 और गुमला में दो मामले दर्ज थे।