रांची: झारखंड में जंगली हाथियों ने उत्पात मचा रखा है। वर्ष 2020-21 में हाथी ने अबतक 32 लोगों की जान ली है। जबकि हाथी के हमले से 58 लोग घायल हुए हैं।
पिछले पांच वर्षों के आंकड़े बताते हैं कि हाथियों ने 254 लोगों की जान ली है। हाल के कुछ वर्षों में हाथियों का हमला बढ़ा है।
हाथियों के हमलों में मरने वालों और घायलों का आंकड़ा देखें तो 2020-21 में अबतक 32 लोगों की मौत हाथी के हमले से हुई जबकि 58 लोग घायल हुए हैं।
इसी तरह वर्ष 2019-20 में हाथियों के हमलों में 60 लोगों की मौत और 55 लोग घायल हुए थे।
वर्ष 2018-19 में 25 लोगों की मौत और 43 लोग घायल हुए। वर्ष 2017-18 में 78 लोगों की मौत और 155 लोग घायल हुए है।
इसी प्रकार वर्ष 2016-17 में 59 लोगों की जान हाथी ने ली और 139 लोग हाथी के हमले से घायल हुए।
कोल्हान और आसपास के इलाके में जंगली हाथियों के उत्पात से लोग काफी परेशान हैं।
हाथियों ने अधिकतर जिलों में उत्पात मचाया है। कई घर तोड़े और फसलों को भी नुकसान पहुंचाया है।
कोल्हान में सरायकेला-खरसावां, ईचागढ़, कुकड़ू और रांची जिले के अनगड़ा, बुंडू, तमाड़, सोनाहातु, सिल्ली, अनगड़ा दर्जनों गांव हाथियों के उत्पात से प्रभावित हैं।
जंगली हाथियों के लिये सिंहभूम के प्राकृतिक स्थल काफी मशहूर थे, लेकिन पिछले तीन दशक में हाथियों की प्राकृतिक आश्रयस्थली को काफी नुकसान पहुंचा है।
इसका मुख्य कारण खनन में बढ़ोतरी और वृक्षों का कटना है। सड़क एवं रेलवे लाइनों का विस्तार तथा हाथियों के कॉरिडोर में आबादी का बसना भी एक बड़ा कारण है।
इससे हाथियों की आवाजाही प्रभावित होती है। यही कारण है कि जब जंगली हाथी झुंड में निकलते हैं तो मानव के साथ टकराव होता है।
वन विभाग के प्रधान मुख्य वन संरक्षक पीके वर्मा ने बताया कि हाथी और मानव संघर्ष को रोकने के लिए वन विभाग ने क्विक रिस्पांस टीम का गठन किया है।
यह टीम लोगों को जागरूक करती है और वैज्ञानिक और पारंपरिक तरीके से हाथियों को वापस जंगल की ओर भेजने का प्रयास करती है।
हाथियों के झुंड की गतिविधियों की जानकारी मोबाइल और रेडियो संदेश के माध्यम से लोगों को दिया जाता है। जिससे की लोगों को कोई नुकसान ना पहुंचे।
साथ ही हाथियों के हमले के शिकार लोगों को मुआवजा दिया जाता है। हाथियों के हमलों में मौत होने पर परिजनों को चार लाख रुपये, घायल होने पर 15 हजार से एक लाख रुपये तक देने का प्रावधान है।
हमले में स्थायी अपंग होने पर दो लाख रुपये, फसलों के नुकसान पर 20 से 40 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर मुआवजा दिया जाता है।
इसके अलावा लगातार क्विक रिस्पांस टीम क्षेत्र में भ्रमण कर लोगों से जानकारी एकत्र करती रहती है। जिससे की लोगों को नुकसान ना पहुंचे।