रांची: झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम पर खुलकर बातें करते हुए कहा कि यह ऐसा विषय हैए जिसे न हटाया जा सकता है और न अछूता रखा जा सकता है।
इस विषय की भावना,संदेश और प्रक्रिया से सभी को अवगत करना आवश्यक है।
उन्होंने महिला और स्त्री शक्ति की चर्चा करते हुए कहा कि महिला आश्रयदात्री का नाम है। वह अबला नहीं सबला है।
गुप्ता शुक्रवार को बतौर मुख्य अतिथि झारखंड राय विश्वविद्यालय रांची की ओर से आयोजित पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम पर वेबिनार में बोल रहे थे।
मंत्री ने कहा कि भ्रूण हत्या और दहेज प्रथा आदर्श समाज के लिए अभिशाप है। भ्रूण हत्या और दहेज प्रथा ये दो समाज में प्रचलित कुप्रथाएं हैं जिनका मैं व्यक्तिगत रूप से विरोध करता हूं।
पीसीपीएनडीटी अधिनियम का पालन कराने के लिए सरकार और विभाग तत्पर है। राज्य में 856 लिंग जांच केंद्र संचालित है ।
अधिनियम के तहत जागरूकता से जुड़े नियमों का पालन और सूचना संबंधी जानकारी का इन्हें पालन करना है।
इसके अलावा डकाय आपरेशन भी चलाया जा रहा है। जिसके तहत एक लाख रुपये देने का प्रावधान है।
मौके पर झारखंड राय विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. डॉ. सविता सेंगर ने वेबिनार में शामिल हुए राज्य के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों से शामिल विद्यार्थियों और शोध छात्रों का अभिवादन किया।
डॉ. सेंगर ने अपने संबोधन में कहा कि देश में कन्या भ्रूण हत्या और गिरते लिंगानुपात को रोकने के लिए भारत की संसद द्वारा पारित पीसीपीएनडीटी एक्ट एक संघीय अधिनियम है। यह अधिनियम प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण पर प्रतिबंध लगाने का कार्य करता है।
हमारे संविधान की धारा 21 ”हर व्यक्ति को आजादी से जीने का अधिकार देती है । जब तक वह किसी कानून का उल्लंघन नहीं कर रहा हो।
वेबिनार में वक्ता के तौर पर उपस्थित राज्य पर्यवेक्षण बोर्ड के सदस्य प्रो. पारस नाथ मिश्रा ने विषय और अधिनियम ने जुड़े तकनीकी बिंदुओं पर चर्चा की।
कार्यक्रम के सफल आयोजन में एनएसएस समन्वयक प्रो. रघुवंश और डॉ. प्रशांत जयवर्धन की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।