रांची: भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने राज्य सरकार पर नई नियुक्ति नियमावली के जरिए तुष्टीकरण करने, हिंदी राजभाषा का अपमान करने और अनेक क्षेत्रों के साथ भेदभाव बरतने का आरोप लगाया।
प्रतुल ने शुक्रवार को प्रेसवार्ता में कहा कि राज्य सरकार ने पूर्व की नियमावली को परिवर्तित करते हुए मुख्य परीक्षा से हिंदी के विकल्प को समाप्त कर दिया है।
यह न सिर्फ राजभाषा का अपमान है बल्कि इससे लाखों छात्रों पर भी असर पड़ेगा।
आखिरकार मुख्य परीक्षा के जरिए ही छात्रों का विभिन्न पदों के लिए चयन होता है और इनकी रैंकिंग तय होती है।
उन्होंने कहा कि इससे पूर्व की नियमावली में राज्य स्तरीय मेंस के पेपर दो में जनजातीय क्षेत्रीय भाषा के लिए हिंदी, अंग्रेजी एवं संस्कृत विषय का भी प्रावधान था, जो कि इस बार के नए नियमावली में उपरोक्त तीनों विषय को हटा दिया गया है।
नई नियमावली में उर्दू को जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा में पेपर दो में यथावत रहने दिया गया है जबकि उर्दू कोई क्षेत्रीय जनजातीय भाषा नहीं है।
यह साफ दिखाता है कि राज्य सरकार बहुसंख्यक विरोधी मानसिकता से कार्य कर रही है और सिर्फ अल्पसंख्यक वोटों के ध्रुवीकरण के कारण ऐसा कदम उठा रही है। इसका कड़ा प्रतिरोध किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि राज्य स्तरीय पदों के लिए जनजातीय क्षेत्रीय भाषा के पेपर दो में भोजपुरी, अंगिका जैसी भाषाओं को हटा दिया गया है जिससे पलामू, गढ़वा, साहिबगंज एवं गोड्डा में रहने वाले लोगों के साथ घोर अन्याय होगा।
इन क्षेत्र के छात्रों के पास मुख्य परीक्षा में हिंदी के रूप में एक विकल्प रहता था लेकिन राज्य सरकार ने उसे भी हटा दिया।
इस नई नियमावली से झारखंडी मूल के सामान्य जातियों के छात्रों के साथ भी घोर अन्याय किया गया है।
अगर इस वर्ग के छात्रों ने किसी भी कारण से किसी दूसरे राज्य से मैट्रिक, इंटर की पढ़ाई किया है तो वे झारखण्ड में कोई भी प्रतियोगिता परीक्षा का फॉर्म भरने से वंचित हो जाएंगे जो कि उनके साथ बहुत ही बड़ा अन्याय होगा।
उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार के इस तुगलकी निर्णय के खिलाफ जन जागरण अभियान और आंदोलन चलाएगी जिसकी रूपरेखा शीघ्र शीर्ष नेतृत्व तय करेगा। प्रेसवार्ता में सह मीडिया प्रभारी अशोक बड़ाईक उपस्थित थे।