रांची: झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने कहा है कि राज्य में नियोजन नीति को लेकर गुरुवार को कैबिनेट में लिया गया फैसला एक ऐतिहासिक कदम है।
पूर्व की नियोजन नीति में शेड्यूल और नन शेड्यूल एरिया को बांटकर तृतीय और चतुर्थ वर्ग की नियुक्तियों में जो घालमेल चल रहा था, उस पर हेमंत सरकार ने रोक लगा दी है।
झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने शुक्रवार को कहा कि ऐसा करके राज्य सरकार ने मूलवासी, आदिवासी, पिछड़े और दलित वर्ग के सम्मान की रक्षा कर एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है।
अब यह साफ हो गया है कि झारखंड की धरती में जिसकी नाभि गड़ी है, उसे ही नौकरी में स्थान मिलेगा।
झारखंड कई जनजाति इलाकों में बटा हुआ है, जहां स्थानीय भाषा बोली जाती है। कुछ में संभाली तो कुछ में मुंडारी बोली जाती है।
ऐसे क्षेत्रों के बच्चों को तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की नौकरी में स्थानीय भाषा को प्राथमिकता देकर ऐसे इलाके के बच्चों को सरकारी नौकरी की दिशा में आगे बढ़ाने का सफल प्रयास किया गया है।
नए संशोधन के अनुसार झारखंड में मैट्रिक से लेकर स्नातक स्तरीय नौकरियों के लिए यहां के मान्यता प्राप्त स्कूलों से मैट्रिक अथवा इंटर की पढ़ाई की अनिवार्यता सुनिश्चित की गई है।