रांची: नगर निगम की ओर से लगातार तोड़े जा रहे घरों और सेवा सदन को नोटिस दिए जाने के मामले को रांची सांसद संजय सेठ ने तुगलकी फरमान बताया है।
सेठ ने बुधवार को कहा कि नगर निगम अब रांची के आम लोगों की जिंदगी का दुश्मन बन बैठा है। जिन भवनों-घरों को तोड़ने पर नगर निगम आमदा है, जरा नगर निगम के अधिकारी बताएं कि जब यह घर-मकान बन रहे थे, उस समय नगर निगम के लोग कहां थे।
उनके संरक्षण के बिना इतनी बड़ी बस्ती कैसे बस गई। इसके लिए सीधे-सीधे नगर निगम के लोग दोषी हैं। नगर निगम के अधिकारी और कर्मचारी दोषी हैं और हर दोषियों पर कार्रवाई होनी चाहिए।
सेठ ने कहा कि लोग बड़ी मुश्किल से अपना आशियाना बनाते हैं। एक-एक रुपए जोड़ कर किसी तरह अपना घर खड़ा करते हैं।
एक दिन में तुगलकी फरमान जारी कर, इन्हें तोड़ने का आदेश दे दिया जाता है। नगर निगम के लोग जेसीबी लेकर घर तोड़ने पहुंच जाते हैं।
क्या इन्हें एहसास नहीं है कि घर टूटने से परिवार कैसे बिखरता है। सेठ ने कहा कि घर टूटे उससे पहले हर नगर निगम के दोषियों पर कार्रवाई सरकार सुनिश्चित करे।
यदि देश की राष्ट्रीय राजधानी में ऐसे लोगों को नियमित किया जा सकता है तो फिर रांची में ऐसा क्यों नहीं किया जा सकता।
सरकार अपनी मंशा स्पष्ट करे और बरसात में किसी भी नागरिक का घर नहीं टूटे, इस पर सरकार ध्यान दे।
सेवा सदन को तोड़ने के बाबत सेठ ने कहा कि सेवा सदन तब से रांची के लोगों को अपनी सेवा दे रहा है, जब नगर निगम का नामोनिशान नहीं था।
अपर बाजार में बने अधिकतर घर तब के हैं, जब नगर निगम का कोई अस्तित्व नहीं था। ऐसी परिस्थिति में अचानक से सेवा सदन को तोड़ने का आदेश देना सरकार की निरंकुशता को दिखाता है।
सेवा सदन ने अपने स्थापना काल से लाखों लोगों को जिंदगी दी है और लाखों जिंदगियां बचाई है।
यह अस्पताल रांची का एक बड़ा अस्पताल है जहां हर वर्ग के लोग अपने उपचार के लिए आते हैं। ऐसे में इसे तोड़ने का फरमान सरकार की जन विरोधी मानसिकता का परिचायक है।
सेठ ने कहा कि रांची में जिन क्षेत्रों में अतिक्रमण हटाने की आवश्यकता है। वहां सरकार और प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते हैं।
कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां अनावश्यक कब्जा है। नागरिकों को काफी समस्या का सामना करना पड़ रहा है।