“Shia Community Holds Mourning Procession in Ranchi”: अलम आया है लेकिन अलबदार नहीं है। या मौला या अब्बास। हुसैन जिंदा है दस्तूर जिंदगी की तरह, शाहिद मरता नहीं आम आदमी की तरह।
जिससे रौशन थी मेरी बिनाई, मेरी आंखों का वो सितारा गया। दीन खुदा को आले पयमबर पे नाज है, कुरान की आयतों को उसी घर पे नाज है।
ये तो मजलूम का मातम है कम न होगा, हर घर में होगा हर दिल में होगा, ये तो मजलूम का मातम है कम न होगा। इस तरह के नौहा के साथ रांची में शिया समुदाय का मातमी जुलूस बुधवार को निकला।
यह जुलूस शिया आलिम दीन हजरत मौलाना हाजी सैयद तहजीबुल हसन रिजवी की अगुवाई में निकला। बाद में नमाज जोहर मस्जिद मजलिस जिक्रे शहिदाने कर्बला इमाम हुसैन का आयोजन किया गया। मजलिस में मरसिया खानी अशरफ हुसैन ने किया।
मजलिस को संबोधित करते हुए ऑल India शिया पर्सनल लॉ बोर्ड Jharkhand के चेयरमैन और मस्जिद जाफरिया के इमाम एवं खतीब हजरत मौलाना सैयद तहजिबुल हसन रिजवी ने कर्बला के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कर्बला वालों की याद से इंसानियत को जिंदगी मिलती है।
कर्बला इंसानियत की दरसागह (School) का नाम है। आज किसी भी देश में कोई भी धर्म का इंसान हो प्यासे को पानी पिलाना इबादत समझता है लेकिन कर्बला में 72 पियासो को रुला-रुला कर शहीद किया गया।
मौलाना ने कहा कि कर्बला की जंग दुनिया की पहली दहशतगरदाना जंग थी। इसमें शहीद होने वालो में 6 माह का बच्चा अली असगर भी था। कर्बला में हजरत इमाम हुसैन ने चंद घंटों में 71 लाशें उठाई।
तीन दिन के भूखे प्यासे इमामे हुसैन को सिमर ने शहीद कर दिया। इसे सुनकर पूरा मजमा रोने लगा। हाय हुसैन, हाय हुसैन की सदा मस्जिद जाफरिया में गूंज उठा।
मौलाना ने कहा कि रांची की यह खूबसूरती रही है कि अहले सुन्नत के सैंकड़ों अखाड़े हमारे मातमी जुलूस को अपने बीच से रास्ता देते हैं। मातमी जुलूस मातम करते हुए आगे बढ़ जाती है।
मजलिस के बाद तिरंगे के साथ अलम और ताबूत निकाला गया, जिसे विक्रांत चौक पहुंचने पर लोअर बाजार थाना प्रभारी और उनकी टीम ने अलम को सलामी दी। जुलूस में नोहा खानी करते हुए लोग आगे बढ़ रहे थे।
जुलूस आगे बढ़ने पर सेंट्रल मोहर्रम कमेटी के महासचिव अकील उर रहमान के लगाए गए स्टॉल पर गुलाब पानी की बारिश की गई। जुलूस जब हनुमान मंदिर तक पहुंचा तो महानगर दुर्गा समिति के लोगों ने गुलाब जल छिड़क कर स्वागत किया।
जुलूस जब आगे बढ़ते हुए डेली मार्केट चौक पहुंचा तो वहां हिन्दू-मुस्लिम ने एक साथ मातमी जुलूस का स्वागत किया। कुछ देर वहां जंजीरी मातम हुआ। आजादारों ने अपने जिस्म को लहूलुहान किया।
जुलूस जब अंजुमन प्लाजा पहुंचा तो अंजुमन इस्लामिया कि टीम ने स्वागत किया। जुलूस जब डॉक्टर फातुल्लाह रोड पहुंचा तो नसर इमाम, जफर अहमद, मो उमर, इंत्साब आलम, अल्ताफ, सज्जाद हैदर, अतहर इमाम, रिजवान ने गुलाब जल छिड़क कर स्वागत किया।
जुलूस जब आरआर प्लाजा पहुंचा तो एस जसीम रिजवी, एस नदीम रिजवी, अशरफ हुसैन, एसएम खुर्शीद, एसएम आसिफ आदि ने स्वागत किया।
जुलूस जब कर्बला चौक पहुंचा तो हाजी माशुक, अब्दुल मनान, अकील उर रहमान, मो. इसलाम और जिला प्रशासन की टीम ने गुलाब जल छिड़क कर स्वागत किया। जुलूस के संरक्षक अंजुमन जाफरिया के अध्यक्ष डॉक्टर शमीम हैदर, सचिव अशरफ हुसैन और सैयद फराज अब्बास थे।