रांची: झारखंड में कार्यरत कोल इंडिया (Coal India) की सहायक कंपनियों CCL, BCCL और ECL पर राज्य सरकार का विभिन्न मदों में 1.36 लाख करोड़ रुपये बकाया है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस बकाया का भुगतान कराने की पहल के लिये दो मार्च को केंद्रीय कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी को लिखे पत्र को सोशल मीडिया पर शनिवार को सार्वजनिक किया।
झारखंड का बकाया भुगतान करने की पहल करने का आग्रह किया है
सीएम ने लिखा है कि भारी बकाया लंबित रहने के कारण झारखंड घोर आर्थिक संकट से गुजर रहा है। इससे लोगों के सामाजिक-आर्थिक विकास से जुड़ी योजनाएं और गतिविधि प्रभावित हो रही हैं।
सीएम ने केंद्रीय मंत्री से इस मामले में दखल देते हुए कोयला कंपनियों से झारखंड का बकाया भुगतान करने की पहल करने का आग्रह किया है।
Central PSU’s holding up 1.36 lakh Crore of people's money. Is it a mere chance?
Heed to the fund starved state of Jharkhand Hon"ble PM @narendramodi ji. https://t.co/fXml8KDiqL
— Mithilesh Kumar Thakur (@MithileshJMM) March 26, 2022
राज्य से जाने वाले खनिज कोयला को बैरिकेडिंग लगाकर रोका जाएगा
सीएम ने कहा है कि बार-बार कोयला मंत्रालय और नीति आयोग के साथ परामर्श के बावजूद भुगतान पर केंद्र सरकार का ध्यान नहीं है।
मुख्यमंत्री ने झारखंड विधानसभा में बजट सत्र के अंतिम दिन समापन भाषण में इस बकाया का जिक्र करते हुए कहा कि यह राज्य का अधिकार है, इसे लेकर ही रहेंगे।
बहुत जल्द बकाया की राशि बढ़ने जा रही है। केंद्र को राज्य का अधिकार हर हाल में देना पड़ेगा, नहीं तो इस बार छीन कर लेने का संकल्प लिया है।
अधिकार नहीं मिलेगा तो राज्य से जाने वाले खनिज कोयला को बैरिकेडिंग लगाकर रोका जाएगा। ताला लगा देंगे।
कुल बकाया 101142 करोड़ रुपये बताया
1. वाश्ड कोल रॉयल्टी : कोयला कंपनियां केवल कोयला ढुलाई का रॉयल्टी देती हैं। उन्हें नियमानुसार प्रोसेस्ड कोल की अलग रॉयल्टी देनी है।
डिस्पैच के बजाए रन ऑफ माइन कोल के आधार पर रॉयल्टी दी जा रही है। इसके लिये जिला खनन पदाधिकारी की तरफ से रजरप्पा, पीपरवार, कथारा, स्वांग, करगली और मुनीडीह वॉशरी को कई बार नोटिस भेजा जा चुका है। वाश्ड कोल पर रॉयल्टी नहीं देने के कारण 2900 करोड़ रुपये कोल कंपनियों पर बकाया है।
2. कॉमन कॉज बकाया : सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में पर्यावरणीय स्वीकृति की शर्तों के विपरीत कोयला उत्खन्न, प्रेषण कार्य के कारण कोल कंपनियों को 32000 करोड़ रुपये राज्य को देना है।
3. भूमि अधिग्रहण का मुआवजा : सीएम ने लिखा है कि कोल कंपनियों द्वारा राज्य में 32802 एकड़ जीएम लैंड और 6655.72 एकड़ जीएम जेजे लैंड का अधिग्रहण किया जा चुका है, लेकिन इस सरकारी भूमि का 41142 करोड़ रुपये का मुआवजा बकाया है। इस पर केवल सूद की रकम ही 60 हजार करोड़ रुपये हो गयी है।