रांची: झारखंड विधानसभा में सोमवार को भाजपा विधायक बिरंची नारायण ने झारखंड राज्य सूचना आयुक्त नियुक्त नहीं होने का मुद्दा उठाया।
उन्होंने सरकार से पूछा कि राज्य में निर्धारित समय अवधि में सेवाओं देने के लिए झारखंड राज्य सेवा देने की गारंटी अधिनियम 2000 धारा लागू है।
लेकिन अधिनियम की धारा 10 के तहत अब तक झारखंड राज्य लोक सेवा परिदान आयोग का गठन नहीं किया गया है। विगत दो वर्षों से सूचना आयुक्त की नियुक्ति नहीं होने के कारण करीब 20,000 से अधिक द्वितीय अपील एवं शिकायतवाद लंबित है।
इसके जवाब में संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने कहा है कि झारखंड में नेता प्रतिपक्ष का पद रिक्त है। सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के लिए जो कमिटी है उसमें नेता प्रतिपक्ष का होना जरूरी है।
इस बाबत सरकार ने कई बार विधानसभा सचिवालय से नेता प्रतिपक्ष के बारे में जानकारी हासिल की है। उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष के बिना सूचना आयुक्त का चयन नहीं हो सकता।
इस चर्चा को आगे बढ़ाते हुए मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा की सूचना आयोग की नियुक्ति में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका होती है।लेकिन विपक्ष के पास अपना कोई नेता नहीं है। विपक्ष जानबूझकर इस मामले को उलझाया हुआ है।
वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस विधायक बंधु तिर्की ने सदन में सवाल उठाया कि सरकार का विभिन्न विभागों में आरक्षित कोटे की बैकलॉग रिक्तियों को भरने का क्या विचार है।
इस पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि विभिन्न विभागों में आरक्षित कोटे की बैकलॉग रिक्तियों की समीक्षा वित्तीय वर्ष 2022-23 में की जायेगी और फिर इन्हें भरा जाएगा।