रांची: झारखंड विधानसभा में सोमवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि अलग राज्य बनाने के बाद कभी भी अरक्षित कोटे के बैकलॉग पदों को भरने के लिए नीतिगत निर्णय नहीं लिया गया।
सरकार के सामने यह एक जटिल समस्या है। लेकिन वर्तमान सरकार राज्य भर के सभी आरक्षित कोटे के बैकलॉग पदों का वर्ष 2022-23 में अध्ययन कराएगी और इसके बाद नियुक्ति का निर्णय लिया जाएगा। मुख्यमंत्री प्रश्नकाल के दौरान विधायक बंधु तिर्की ने आरक्षित कोटे के बैकलॉग नियुक्ति का मामला सदन में रखा था।
हाईकोर्ट के बेंच का गठन दो संस्थाओं के बीच का मुद्दा: हेमंत सोरेन
भाजपा विधायक नारायण दास ने दुमका में हाईकोर्ट बेंच का मामला उठाया। इसके जवाब में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि दुमका में हाईकोर्ट के एक बेंच का गठन का मामला दो संस्थाओं के बीच का मुद्दा है।
यह न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच का मामला है। उन्होंने कहा कि इसमें न्यायपालिका का इनवॉल्व होना बहुत जरूरी है। दुमका में हाईकोर्ट का बेंच गठित हो, इसके लिए सरकार प्रयत्नशील है। इस संदर्भ में हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र भी लिखा गया है। उम्मीद है जल्द ही इस पर कार्यवाही होगी।
आंदोलनकरियों के परिजनों को नौकरी और मुआवजा पर पहले ही सरकार ने लिया है निर्णय मुख्यमंत्री प्रश्न काल के दौरान झामुमो विधायक दशरथ गगराई ने आंदोलनकरियों के आश्रितों को पेंशन, मुआवजा और नौकरी देने का मुद्दा उठाया।
गागराई के सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्य सरकार ने कई आंदोलनकारियों के आश्रितों को पेंशन, मुआवजा और नौकरी देने का फैसला पहले ही किया है। राज्य चिन्हितकरण आयोग का गठन किया गया है।
सदस्य ने खरसावां कांड के आश्रितों को नौकरी देने का मुद्दा उठाया है। उन्हें स्पष्ट करना है कि यह मामला 1948 में हुआ था। ऐसे में आंदोलनकारियों के आश्रितों को पहचान करना कठिन है।
सरकार का प्रयास है कि वहां के बुजुर्गों से बातचीत कर आश्रितों का पता लगाए जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने पहले ही गुआ गोलीकांड के आश्रितों को नौकरी देने का काम किया है।