रांची: झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के 11वें दिन सोमवार को विधायक सरयू राय ने सदन में जानना चाहा कि क्या सरकार स्थानीय नीति के लिए 1932 के खतियान को आधार बनाना चाहती है।
उन्होंने यह भी जानना चाहा कि पूर्व की सरकार ने स्थानीय नीति 2016 में तय की थी। उसमें संशोधन भी किया है,जो वर्तमान सरकार को स्वीकार नहीं है।
जवाब में संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि 1932 का खतियान तो रहेगा ही लेकिन सरकार 1964 और 1974 में हुए सर्वे की भी समीक्षा कर रही है।
उन्होंने कहा कि अभी 2016 की स्थानीय नीति चल रही है। सरकार बहुत जल्द नई स्थानीय नीति लाएगी, इसके लिए त्रिस्तरीय मंत्रिमंडलीय उप समिति के गठन का मामला सरकार के समक्ष विचाराधीन है।
मंत्री ने बताया कि राज्य सरकार की ओर से स्थानीय व्यक्ति के संबंध में झारखंड हाई कोर्ट में दो जनहित याचिका डब्ल्यूपी ( पीआइएल , 4056/2002, 3912/2002) डाली गयी थी।
चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय खंड पीठ ने सुनवाई के बाद 27.11.2002 को निरस्त कर दिया। स्थानीय नीति को पुनः परिभाषित करने तथा स्थानीय व्यक्ति की पहचान के लिये दिशा निर्देश गठित करने के मामले में सरकार को फैसला लेने को कहा।
फिलहाल राज्य में 2016 में जारी स्थानीय निवासी संबंधी संकल्प लागू है। सरकार अब इसकी समीक्षा करने को त्रिस्तरीय समिति बनायेगी। इसपर सरकार की ओर से अध्ययन भी किया जा रहा है।