रांची: झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन प्रसाद की अदालत में मंगलवार को रिम्स में नियुक्ति के मामले पर सुनवाई हुई।
सुनवाई के दौरान अदालत में मौखिक रूप से कहा कि झारखंड सरकार इनको सिर्फ नाम की स्वायत्त संस्था बनाए रखना चाहती है। अभी भी रिम्स सरकार के दबाव में काम करती है।
चीफ जस्टिस ने कहा कि कोर्ट लगातार दो साल से नियुक्ति करने का निर्देश दे रहा है लेकिन अभी तक नियुक्ति नहीं हो पाई है।
क्योंकि, इसके पीछे रोस्टर क्लियरेंस सरकार से मिलना है। ऐसे नियम को रद्द कर देना चाहिए। क्योंकि, इस वजह से नियुक्ति में बेवजह देरी होती है।
कोर्ट ने कहा कि रिम्स में काफी संख्या में मरीज आते हैं लेकिन पैरामेडिकल स्टाफ की कमी के चलते समुचित इलाज नहीं हो पाता है।
सुनवाई के दौरान स्वास्थ्य सचिव, कार्मिक सचिव, जेएसएससी के चेयरमैन और रिम्स के निदेशक कोर्ट में हाजिर हुए थे।
इस दौरान जेएसएससी के चेयरमैन ने कहा कि रिम्स की ओर से नियमानुसार नियुक्ति की प्रक्रिया के लिए अधियाचना नहीं भेजी गई थी।
इसलिए उन्होंने इसे वापस कर दिया लेकिन अगर उक्त मामले में हाईकोर्ट कोई आदेश देती है, तो आयोग नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने को तैयार है। इसके बाद अदालत ने एक अप्रैल को पूरे मामले में प्रगति रिपोर्ट मांगी है।
उल्लेखनीय है कि पिछली सुनवाई के दौरान रिम्स और सरकार की ओर से संतोषजनक जवाब नहीं दिए जाने पर अदालत ने स्वास्थ्य सचिव, कार्मिक सचिव, जेएसएससी चेयरमैन और रिम्स निदेशक को सशरीर कोर्ट में हाजिर होने का निर्देश दिया था।