रांची: राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार ने कहा कि झारखंड सरकार के बजट में कुछ भी नया नहीं किया गया है।
इतना ही नहीं पूर्ववर्ती सरकार की अच्छी योजनाओं को भी खत्म कर दिया गया है। वे शनिवार को पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने जो बजट पेश किया है उसमें उद्योगों को लेकर सरकार की कोई भी गंभीरता नहीं दिखती है।
रघुवर दास की सरकार ने राज्य में वस्त्र उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की फैसिलिटी उद्योगों को दिया था लेकिन इस सरकार ने इस बजट में भी इसके लिए कोई प्रावधान नहीं किया है। बड़े इन्वेस्टर को लेकर बजट में कोई चर्चा नहीं की गई है।
पोद्दार ने कहा कि इस सरकार ने राज्य में विकास करने से अधिक विवाद उत्पन्न करने पर काम किया है। हाल के दिनों में जिस तरह से बड़े और छोटे दुकानदारों को परेशान किया गया है।
मोराबादी में छोटे दुकानदारों को बेरोजगार कर दिया गया। अपर बाजार में बड़े दुकानदारों को डिस्टर्ब किया जा रहा है। इससे इस सरकार की मानसिकता का पता चलता है।
उन्होंने कहा कि सरकार छात्रों को लेकर भी गंभीर नहीं है। बेरोजगारी भत्ता और रोजगार देने का वादा लेकर सरकार सत्ता में आयी लेकिन सबसे ज्यादा बेरोजगार छात्र हैं।
रोजगार के नाम पर झारखंड स्टाफ सलेक्शन कमीशन और झारखंड पब्लिक सर्विस कमीशन की कॉन्ट्रोवर्सी हर दिन देखने को मिलती है। नतीजा यह होता है कि छात्रों को बेरोजगार ही रहना पड़ रहा है।
सांसद ने कहा कि सरकार ने 1932 खतियान और भाषा विवाद को लेकर एक नई जंग की शुरुआत कर दी है।
सरकार ने जब एक बार खतियान की परिभाषा तय कर दी थी तो अब उसमें नया विवाद करके राज्य को बेवजह विकास से दूर रखा जा रहा है। युवा जब रोजगार मांग रहे हैं तो उनको भाषा और खतियान के विवाद में फंसा दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने 10 लीटर पेट्रोल की सब्सिडी देने की योजना शुरू की लेकिन इस योजना का हालत यह है कि लोग इसको लेने से इंकार कर रहे हैं।
इस सरकार ने इस योजना को भी सिर्फ आईवॉश की तरह काम किया है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि पंचायत चुनाव होने चाहिए।
लंबे समय तक इसे रोका नहीं जा सकता। ओबीसी आरक्षण मसले पर भी आम सहमति की जरूरत है।
राज्य में तीसरे मोर्चे के गठन पर कहा कि आगामी समय में इसके असर और उद्देश्य का पता लगेगा। वैसे इसमें शामिल पांच में से तीन सदस्यों में भाजपाई डीएनए ही है। कुछ सकारात्मक असर ही होगा।