रांची: सिमटते लोकतंत्र और बढता खाद्य संकट विषय को लेकर एचारडीसी में 11 मार्च से चल रहे भोजन का अधिकार अभियान राज्य स्तरीय सम्मेलन का समापन रविवार को हो गया।
सम्मेलन के पहले दिन नरेगा की जमीनी स्थिति पर चर्चा किया गया।दूसरे दिन के खुले सत्र में सम्मेलन के प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व राज्य सलाहकार सदस्य बलराम ने कहा कि आज देश की लोकतांत्रिक संस्थाएं लगातार कमजोर हुई हैं।
साथ ही राजसत्ता कमजोर वर्गों को हासिये पर धकेलने के उद्देश्य से जो भी क़ानूनी सुरक्षा कवच आम लोगों को राहत प्रदान कर रही थी उन्हें भी शासक वर्ग सत्ता का दुरुपयोग कर कानूनों को अपने अनुकूल संशोधित कर रहे हैं।
यह गंभीर चिंता का विषय है जबकि यहां लोकतंत्र का सीधा मतलब रोजमर्रा की जीवन शैली से है।
उन्होंने कहा कि हमारा दायित्व सिर्फ यह नहीं है कि पांच वर्षो में एक वोट देना बल्कि सत्ता से लोगों के सवाल उठाना भी लोकतंत्र को सुदृढ़ करने के दैनिक कदम होने चाहिए।
छत्तीसगढ़ से आई संगीता ने कहा कि जहां लोकतंत्र सिमट रहे हैं वहीं आज देश में खाद्य असुरक्षा की भावनाएं बढ़ी हैं।
केंद्र और राज्य की सरकारें कल्याणकारी योजनाओं के लिए वित्तीय आवंटन कम कर रही हैं। इसके कारण कई योजनायें आवंटन के अभाव में कई योजनायें दम तोड़ रही हैं।
आज देश में महिलाओं और बच्चों में कुपोषण की स्थिति भयावह है। इसका दुष्प्रभाव आने वाले समय में देश के मानव संसाधन पर पड़ेगा।