रांची: टेरर फंडिंग मामले में रांची एनआईए की विशेष कोर्ट की ओर से संज्ञान लिए जाने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
झारखंड हाई कोर्ट में प्रार्थी महेश अग्रवाल, सोनू अग्रवाल उर्फ अमित अग्रवाल और विनीत अग्रवाल की ओर से दायर क्वैशिंग याचिका पर सुनवाई हुई।
सुनवाई के दौरान प्रार्थियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता आरएस चीमा, विकास पावा और झारखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा एवं अधिवक्ता स्नेह सिंह ने अदालत के समक्ष पक्ष रखते हुए कहा कि इस पूरे मामले में उनकी संलिप्तता कहीं भी नहीं है।
इसलिए एनआईए कोर्ट द्वारा लिए गए संज्ञान को खारिज करते हुए उन्हें राहत दी जानी चाहिए।
इसपर एनआईए की तरफ से अदालत में पक्ष रख रहे अधिवक्ता विक्रमजीत बनर्जी ने कहा कि उक्त सभी आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य मौजूद हैं और कोर्ट ने इनके मामले में जो संज्ञान लिया है वो भी बिल्कुल सही है।
सभी पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
मामले की सुनवाई झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डॉ रवि रंजन और न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद की बेंच में हुई।
उल्लेखनीय है कि मगध आम्रपाली प्रोजेक्ट में लोडिंग एवं खनन के लिए कार्य कर रही कंपनियों पर नक्सली संगठनों को आर्थिक मदद पहुंचाने सहित कई गंभीर आरोप लगे हैं, और इस मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) कर रही है।
रांची एनआईए की विशेष अदालत के द्वारा लिए गए संज्ञान को चुनौती देते हुए टेरर फंडिग के आरोपियों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए क्वैशिंग याचिका दाखिल की है।
इस मामले में देश की शीर्ष अदालत ने एक आरोपी दिनेश केडिया को जमानत दे दी है।