रांची: झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने कहा है कि नेत्र दान सबसे बड़ा दान है। इससे बड़ा कोई दान नहीं हो सकता।
उन्होंने कहा कि अगर कोई लंबे समय से अंधेरे में हो और उसे अचानक सब कुछ दिखने लगे तो उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहता।
रमेश बैस मंगलवार को पुरुलिया रोड स्थित कश्यप मेमोरियल आई हॉस्पिटल के सभागार में बोल रहे थे।
यहां आई डोनेशन अवेयरनेस क्लब की ओर से 36वां राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा का आयोजन किया गया था।
उन्होंने कहा कि नेत्रदान के प्रति जागरुकता उतनी नहीं है। हमें लोगों के बीच जागरुकता फैलाना है ताकि अधिक से अधिक लोग नेत्रदान के लिए आगे आएं।
इस अवसर पर राज्यपाल ने मृत्यु के बाद अपने परिजनों के नेत्रदान करने वाले 10 परिवारों को सम्मानित किया।
इनमें शैलेश कोठारी, रश्मि मारू, प्रभात कुमार तुलस्यान, कमला रानी, साधना जैन आदि शामिल हैं।
इस अवसर पर राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि नेत्रदान एक धार्मिक काम है।
क्योंकि, ऐसे काम आत्मा से किए जाते हैं जब आत्मा और परमात्मा का मिलन होता है तभी नेत्रदान जैसे काम होते हैं।
उन्होंने कहा कि इसे बढ़ावा देने और इसके सफल संचालन के लिए वह डॉ भारती कश्यप एवं डॉ बीपी कश्यप का धन्यवाद करते हैं।
क्योंकि, कोरोना काल उन्होंने 120 लोगों के नेत्र प्रत्यारोपण किए। इस अवसर पर डॉ भारती कश्यप सहित कई लोग मौजूद थे।