सिमडेगा: तोक्यो में चल रहे ओलिंपिक गेम्स में पुरुष हॉकी प्रतियोगिता में भारतीय पुरुष टीम ने तीसरे एवं चौथे स्थान के लिए खेले गए मैच में जर्मनी को 5-4 से पराजित कर दशकों बाद कांस्य पदक प्राप्त कर इतिहास रच दिया।
मौके पर शहरी क्षेत्र में हॉकी कार्यालय के पास मुख्य पथ पर खिलाड़ियों ने जमकर जश्न मनाया। 1980 के बाद भारतीय हॉकी टीम का ओलिंपिक में यह पहला पदक जीती है।
मैच की समाप्ति के बाद हॉकी की नर्सरी सिमडेगा में हॉकी सिमडेगा के कार्यालय में खिलाड़ी व पदाधिकारी ढोल नगाड़े के साथ पहुंच गए। नाचते हुये एक दूसरों को जीत की बधाई दिये।
हाथों में तिरंगा, हॉकी स्टीक लेकर सड़कों पर उतर गये। हॉकी पर बनाई गई गीत बजाते हुए घंटों तक खिलाड़ी नाच कर जश्न मनाया। खुशी से झूम रहे हॉकी सिमडेगा के पदाधिकारियों ने मिठाइयां बांटी।
मौके पर हॉकी सिमडेगा के अध्यक्ष मनोज कोनबेगी, कमलेश्वर मांझी, हॉकी कोच प्रतिमा बरवा, राजू मांझी दीपक मांझी, भारतीय महिला हॉकी टीम की ओर से ओलिंपिक खेल रही सलीमा टेटे के पिता सुलक्शन टेटे सहित कई छोटे बड़े हॉकी खिलाड़ी उपस्थित थे।
बहुत बड़ी जीत: मनोज
कार्यक्रम में उपस्थित हॉकी सिमडेगा के अध्यक्ष मनोज कोनबेगी ने कहा कि भारतीय हॉकी के लिए यह बहुत बड़ी जीत है।
पूरी भारतीय टीम के साथ समस्त देशवासियों को बधाई। यह जीत कई दशकों के बाद मिली है। 1972 के बाद हॉकी खेल का आयोजन एस्ट्रोटर्फ में होने लगा।
उसके बाद भारतीय हॉकी टीम में गिरावट आने लगी। 1980 में भारत की टीम स्वर्ण पदक जीता था। लेकिन उस समय की परिस्थिति कुछ अलग थी। लेकिन उसके बाद ओलंपिक में भारत पिछड़ते चला गया।
कई मौके आए कि भारतीय टीम ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई भी नहीं कर पायी। लेकिन इस तोक्यो ओलिंपिक में भारत ने जबरदस्त प्रदर्शन किया। अं
तिम चार में जगह बनाते हुए तीसरे स्थान के लिए खेले गए मैच में जर्मनी को पराजित कर बहुत बड़ी जीत हासिल की है। भारत के गांव गांव में हॉकी का जुनून है। आने वाले ओलिंपिक में भारतीय टीम और अधिक प्रभावशाली नजर आएगी।