रांची: पाकुड़ जिले में चास हाट पहल के जरिए खेती की योजनाओं का लाभ समेकित रूप से सखी मंडल की बहनों को दिया जा रहा है।
सखी मंडल की महिलाओं को सशक्त आजीविका से जोड़ने के लिए हॉर्टिकल्चर आधारित अभिनव प्रयास किया गया है। चास हाट नामक इस पहल से ग्रामीण परिवारों की आमदनी में बढ़ोतरी सुनिश्चित की जा रही है।
पाकुड़ जिला प्रशासन एवं झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी के संयुक्त प्रयास से चास हाट पहल के जरिए सखी मंडल की महिलाओं को सब्जी उत्पादन से जोड़कर उनकी जिंदगी में बदलाव के लिए कार्य किया जा रहा है।
चास हाट पहल के जरिए पाकुड़ को हॉर्टिकल्चर हब के रूप में विकसित करने के लक्ष्य से साल 2021 में चास हाट पहल की शुरुआत की गयी थी।
चास हाट के जरिए कम लागत से बढ़ती आमदनी
पाकुड़ जिले के महेशपुर प्रखण्ड अंतर्गत बलियापतरा गांव की रहने वाली माया देवी चास हाट पहल से जुड़कर 50 डिसमिल जमीन पर सूक्ष्म टपक सिंचाई, उन्नत तकनीकी प्रशिक्षण के जरिए फूल गोभी, परवल समेत कई सब्जियां उगा कर अच्छी आमदनी कर रहीं है।
माया बताती है कि पहले सिंचाई, सही बीज और खाद आदि के अभाव में सही तरीके से खेती नहीं हो पाती थी और लाभ भी नहीं होता था लेकिन चास हाट पहल की मदद से पिछले सीजन में ही मैंने सिर्फ 17000 रुपये की लागत से सब्जियों की खेती कर कृषि लागत निकाल कर 55,050 रुपये का लाभ प्राप्त किया।
जिला स्तर पर बदलाव की दस्तक
चास हाट पहल के जरिए जिले के विभिन्न विभागों की खेती की योजनाओं का लाभ समेकित रूप से सखी मंडल की बहनों को चास हाट के जरिए दिया जा रहा है।
सिंचाई की समस्या दूर करने के लिए भूमि संरक्षण एवं अन्य विभाग डीप बोरिंग एवं पम्प सेट उपलब्ध करा रहे हैं। वहीं, टपक सिंचाई योजना से भी किसानों की मदद की जा रही है।
इसी क्रम में मनरेगा द्वारा दीदी बाड़ी योजना अंतर्गत 05 डिसमिल कि योजना एवं सिंचाई सुविधा के लिए कूपों की भी व्यवस्था की जा रही है।
चास हाट पहल के जरिए साढ़े चार करोड़ की सब्जी बिक्री
पिछले वित्तीय साल में चास हाट पहल के जरिए पाकुड़ के करीब 7803 किसानों ने 1712 एकड़ भूमि पर सब्जियों की खेती शुरू की है।
इन किसानों ने कम समय में करीब 266 मीट्रिक टन सब्जियों के उत्पादन के जरिए करीब साढ़े चार करोड़ की बिक्री सुनिश्चित की गई है।
इस परियोजना के अंतर्गत अब तक जिले के करीब 8000 किसानों एवं 5000 एकड़ भूमि को चिन्हित करते हुए चास-हाट फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी का गठन किया गया है।
इन सभी चिन्हित किसानों को 28 कलस्टरों एवं 112 पेचों में विभाजित कर सब्जी की खेती करवाई जा रही है।
सालाना तीन से चार फसलों का उत्पादन करवाना इस योजना के सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्यों में से एक है। इस पहल के जरिए पाकुड़ जिला हॉर्टिकल्चर हब के रूप में स्थापित होने की राह पर है।
पाकुड़ के उपायुक्त वरुण रंजन का कहना है कि चास हाट पहल से पाकुड़ जिले को हॉर्टिकल्चर हब के रूप में विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है।
इस पहल के जरिए ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाकर उनके कारोबार को विस्तार देने का कार्य उत्पादक कंपनी के जरिए किया जा रहा है।
महिलाओं के नेतृत्व में कंपनी का बेहतर तरीके से संचालन हो रहा है और महिलाओं की आमदनी भी बढ़ रही है। इस पहल से पाकुड़ जिले की हजारों ग्रामीण महिलाएं आत्मनिर्भरता की राह पर है।