रांची : सोमवार को एकीकृत पारा शिक्षख संघर्ष मोर्चा का शिष्टमंडल शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो से उनके रांची स्थित आवास में मिला। शिक्षा मंत्री ने ही उन्हें मिलने के लिए बुलाया था।
मुलाकात के बाद शिष्टमंडल ने बताया कि शिक्षा मंत्री ने उनसे कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन राज्य से बाहर गये हुए हैं।
इस कारण नियमावली को लेकर सोमवार को वह कोई निर्णय नहीं कर पाये हैं। अगर मुख्यमंत्री बाहर नहीं गये होते, तो वह सोमवार को ही नियमावली को फाइनल करके आगे की प्रक्रिया में भेज देते।
शिष्टमंडल ने बताया कि शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने मुलाकात के दौरान उन्हें आश्वासन दिया कि मुख्यमंत्री के लौटते ही उनसे बात कर मोर्चा के शिष्टमंडल को बुलाया जायेगा।
शिक्षा मंत्री ने स्पष्ट किया कि नियमावली के फाइनल होने में वह विधि, वित्त, कार्मिक में देर नहीं होने देंगे और जल्द ही नियमावली को कैबिनेट से पारित कराया जायेगा।
शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो से मिले शिष्टमंडल में बिनोद बिहारी महतो, संजय कुमार दुबे, हृषिकेश पाठक, प्रमोद कुमार, दशरथ ठाकुर, मोहन मंडल, प्रद्युम्न कुमार सिंह (सिंटू) आदि शामिल थे।
पारा शिक्षकों, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक के बाद यह लिया गया था फैसला
शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के साथ पारा शिक्षकों, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक के बाद यह फैसला लिया गया। अब आकलन परीक्षा के आधार पर झारखंड में पारा शिक्षक स्थायी होंगे और उन्हें वेतनमान मिलेगा
बैठक में तय हुआ की, बिहार के शिक्षा मित्र की तर्ज पर स्थायीकरण के लिए झारखंड के पारा शिक्षकों का आकलन किया जाएगा, जिसके लिए होनी वाली परीक्षा को सीमित आकलन परीक्षा कहा जाएगा।
जो पारा शिक्षक इस परीक्षा को पास करेंगे, उन्हें स्थायी किया जाएगा। इसके लिए पारा शिक्षकों को तीन अवसर दिए जाएंगे।
इससे पहले विधि विभाग से शिक्षा विभाग ने सुझाव मांगा था।इसमें विधि विभाग की ओर से शिक्षक पात्रता परीक्षा लेने का सुझाव दिया गया था, जिसका पारा शिक्षकों ने विरोध जताया था।
जिसके बाद शिक्षक पात्रता परीक्षा नहीं लेने का निर्णय लिया गया बल्कि बिहार की तर्ज पर झारखंड में भी पारा शिक्षकों के स्थायीकरण व वेतनमान के लिए सीमित आकलन परीक्षा लेने का फैसला हुआ।
खत्म होगा 18 वर्षों का संघर्ष
सरकार के इस कदम पर एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा ने खुशी जताई है। मोर्चा की ओर से बयान जारी किया गया है कि 65 हजार शिक्षक 18 वर्ष से संघर्ष कर रहे थे। उनके संघर्ष को अब फल मिलने वाला है।