रांची: झारखंड विधानसभा में प्रभारी शिक्षा मंत्री के एक बयान के बाद से राज्य भर के मदरसा शिक्षकों में आक्रोश बढता जा रहा है।
मंत्री के ऐसे बयान पर ऑल झारखंड मदरसा टीचर्स एसोसिएशन के महासचिव हामिद गाजी ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मंत्री मिथिलेश ठाकुर को सदन में इस तरह के अनुचित बयान देने से पहले एक बार सच्चाई का पता लगा लेना चाहिए था।
उनके गैर जिम्मेदाराना और अनुचित बयान से सरकार की अल्पसंख्यकों के बीच तस्वीर धूमिल हुई है।
क्या है मामला
दरअसल, झारखंड विधानसभा में विधायक बंधु तिर्की द्वारा पूछे गए सवाल पर राज्य के प्रभारी शिक्षा मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर जवाब दे रहे थे।
मदरसा के सेवानिवृत्त शिक्षकों के पेंशन से संबंधित मंत्री के बयान पर झारखंड के 186 गैर सरकारी सहायता प्राप्त मदरसों के शिक्षकों में काफी रोष है।
मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने सदन में कहा था कि राज्य के 186 सरकारी सहायता प्राप्त मदरसों के शिक्षकों की नियुक्ति स्थायी नहीं है। उन्हें सरकार पेंशन नहीं दे सकती है।
एसोसिएशन ने दिखाया आईना
ऑल झारखंड मदरसा टीचर्स एसोसिएशन के महासचिव हामिद गाजी ने कहा है कि प्रभारी शिक्षा मंत्री को मालूम होना चाहिए कि संयुक्त बिहार में ही सरकार ने संकल्प संख्या 237 दिनांक 20ध्02ध्90 के द्वारा मदरसों और संस्कृत विद्यालयों के शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मियों को सरकारी विद्यालयों के शिक्षकों की भांति वेतन सहित सभी सुविधाएं देने का निर्णय लिया है।
इसके बाद झारखंड सरकार ने भी उक्त संकल्प की रोशनी संकल्प संख्या 2956 में मदरसा व संस्कृत कर्मियों का वेतन निर्धारण किया। मदरसा कर्मियों की सेवानिवृत्ति आयु भी 62 है, फिर ये शिक्षक अस्थायी कैसे हुए।
समिति ने किस आधार पर नियुक्ति को अस्थायी बताया, समझ से परे
हामिद गाजी ने कहा कि मंत्री मिथिलेश ठाकुर को कम से कम झारखंड सरकार के संकल्प का अध्ययन कर लेना चाहिए था। 2018 में बीजेपी सरकार द्वारा गठित समिति की रिपोर्ट की पहले समीक्षा कर लेनी चाहिए थी।
उसके बाद ही मदरसा शिक्षकों के पेंशन देने से संबंधित कोई बयान देना चाहिए था।
शिक्षा विभाग में बैठे अधिकारी मदरसों के साथ भेदभाव की नीति अपनाते हुए सरकार को गुमराह कर रहे हैं। गाजी ने कहा कि 2018 में गठित समिति ने किस आधार पर मदरसा शिक्षकों की नियुक्ति को अस्थायी बताया है, यह समझ से परे है।
वहीं, एसोसिएशन के अध्यक्ष सय्यद फजलुल होदा ने कहा कि झारखंड में अधिकारी जो लिखकर देते हैं, मंत्री वही सदन में पढ़ देते हैंए सच्चाई जानने की कोशिश भी नहीं करते हैं।
उपाध्यक्ष मौलाना मो रिजवान कासमी और संरक्षक शरफुद्दीन रशीदी ने कहा कि प्रभारी शिक्षा मंत्री को मालूम होना चाहिए कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पिछले कार्यकाल 2014 में मदरसा के सेवानिवृत्त शिक्षकों और कर्मचारियों को पेंशन देने का फैसला लिया गया था।
लेकिन पिछली सरकार ने उस फैसले को निरस्त कर दिया था। एक फिर हेमंत सरकार से मदरसा शिक्षकों को उम्मीद जगी थी लेकिन मिथिलेश ठाकुर के बयान से मदरसा और संस्कृत कर्मियों को निराशा हाथ लगी है।