पाकुड़: नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को सही ढंग से धरातल पर उतारने में शिक्षकों की भूमिका सर्वोपरि है। ये बातें बुधवार को स्थानीय रविंद्र भवन में ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020’ के कार्यान्वयन में शिक्षक की भूमिका को लेकर आयोजित एक दिवसीय जिला स्तरीय कार्यशाला में डीसी कुलदीप चौधरी ने कहीं।
जिसका आयोजन नीति आयोग, भारतीय शिक्षा मंडल और झारखंड शिक्षा परियोजना, पाकुड़ ने संयुक्त रूप से किया था।
मौके पर एसपी मणिलाल मंडल, डीडीसी अनमोल कुमार सिंह, आईटीडीए निदेशक मोहम्मद शाहिद अख्तर, डीईओ रजनी देवी , डीएसई दुर्गानंद झा, जिला जनसंपर्क पदाधिकारी डाॅक्टर चंदन आदि के अलावा जिले भर से आए शिक्षक शिक्षिकाएं मौजूद थीं।
आयोजन मुख्यतः नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन में शिक्षकों की भूमिका पर केंद्रित था।
मौके पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की गई।
साथ ही अंतिम राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 और नीतिगत ढांचे में नई शिक्षा नीति 2020 के प्रमुख क्षेत्रों में महत्वपूर्ण परिवर्तन, राज्य और जिला स्तर पर इसकी कार्य योजना आदि सभी शिक्षकों के साथ साझा की गई।
मौके पर डीसी ने शिक्षा का जीवन में स्थान के संबंध में विस्तृत रूप से बताया।
साथ ही कहा कि शिक्षा देने का तरीका ऐसा हो कि वर्ग एक से पांच तक के बच्चों को क्षेत्रीय भाषा की पर्याप्त जानकारी हो जाए। इसके लिए शिक्षकों को भी क्षेत्रीय भाषा की जानकारी होनी जरूरी है।
उन्होंने इस पर विशेष फोकस करने पर बल देते हुए कई महत्वपूर्ण विंदुओं की विस्तृत चर्चा की।
साथ ही उन्होंने जोर देकर कहा कि बच्चों के मूल्यांकन पैटर्न में बदलाव के साथ ही मूल्यांकन मानकों- पीआईएसए के अलावा अन्य मान्यता प्राप्त आकलनों को जरूरी बताया, ताकि बच्चे अंतरराष्ट्रीय मानकों का सामना कर सकें।
उन्होंने शिक्षा और प्रारंभिक बचपन की देखभाल और शिक्षा में प्रौद्योगिकी को शामिल करने, बच्चों के भावनात्मक और मानसिक विस्तार के पहलुओं का स्वागत किया।
उन्होंने यह भी बताया कि एनईपी में लर्निंग आउटकम को फोकस किया गया है।