रांची: झारखंड की छुटनी देवी नौ नवंबर को पद्मश्री से सम्मानित होंगी। जानकारी के अनुसार छुटनी देवी पद्मश्री अवार्ड पाने के लिए सोमवार की शाम दिल्ली रवाना हो गयी हैं।
छुटनी देवी के साथ उनके पुत्र और पुत्रवधू भी दिल्ली गए हैं। वर्ष 2021 के लिए डायन कुप्रथा के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाली छुटनी देवी नौ नवंबर को पद्मश्री सम्मान से सम्मानित हाेंगी।
झारखंड में पद्मभूषण, पद्म विभीषण और पद्मश्री अवार्ड पाने वालों की कुल संख्या 216 हो गयी है। कभी गांव- घर से डायन कहकर निकाली गयी छुटनी देवी नौ नवंबर को पद्मश्री छुटनी देवी बन जायेंगी।
हालांकि, इसकी घोषणा पूर्व में ही हो गयी थी लेकिन सम्मान नौ नवंबर को मिल रहा है। इस सम्मान के साथ ही 62 वर्षीय छुटनी देवी के नाम के आगे भारत का श्रेष्ठ सम्मान पद्मश्री जुड़ जायेगा।
छुटनी देवी सरायकेला- खरसावां जिला अंतर्गत गम्हरिया प्रखंड के बीरबांस पंचायत स्थित भोलाडीह गांव की रहने वाली है। महज 12 साल की उम्र में उनकी शादी गम्हरिया थाना अंतर्गत सामरम पंचायत (वर्तमान में नवागढ़) निवासी धनंजय महतो (अभी मृत) से हुई थी।
वर्ष 1995 में पड़ोसी की बेटी बीमार हो गयी थी। ग्रामीणों को शक हुआ था कि छुटनी ने कोई जादू- टोनाकर उसे बीमार कर दिया है। इसके बाद गांव में पंचायत हुई, जिसमें उसे डायन करार देते हुए लोगों ने घर में घुसकर उसके साथ दुष्कर्म करने की कोशिश की गयी थी।
इस दौरान छुटनी देवी को ग्रामीणों ने प्रताड़ित कर मल-मूत्र तक पिलाया गया था। ग्रामीणों के इस प्रताड़ना से तंग आकर छुटनी देवी मायके चली आयी।
इसके बाद से छुटनी देवी डायन कुप्रथा की रोकथाम को लेकर लगातार आवाज उठाती रही। इसके बाद एसोसिएशन फॉर सोशल एंड ह्यूमन अवेयरनेस (आशा) से जुड़कर डायन कुप्रथा के खिलाफ आवाज उठाने लगी।
आशा के सौजन्य से बिरबांस में पुनर्वास केंद्र का संचालन कर रही है। छुटनी देवी सरायकेला जिला इकाई की बतौर निदेशक के तौर पर कार्यरत है।