कोडरमा: किसी समय में बाल मजदूरी (Child Labour) की शिकार हुई एक लड़की को संयुक्त राष्ट्र संघ (United Nations Organisation) में बोलने का अवसर मिला। अपनी स्पीच में उसने ऐसे-ऐसे मुद्दे उठाए कि हर कोई दंग है।
कोडरमा जिले के डोमचांच प्रखंड के मधुबन पंचायत की कागज नामक इस 20 साल की युवती ने संयुक्त राष्ट्र संघ की ट्रांसफॉर्मिंग एजुकेशन (Transforming Education) समिट में दुनिया के सामने बाल मजदूरी का विरोध करते हुए इनकी पीड़ा को पुरजोर तरीके से उठाया।
20 सितंबर की शाम काजल के लिए New York में यादगार शाम का गवाह बन गया। झारखंड से आने वाली बेटी काजल वैश्विक नेताओं (Global Leaders) के सामने बाल मजदूरों की पीड़ा को बेबाक ढंग से रखा।
बाल शोषण खत्म करने में शिक्षा का बड़ा रोल
काजल ने कहा कि बालश्रम और बाल शोषण (Child Labor And Child Abuse) के खात्मे में शिक्षा की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका है। इसलिए बच्चों को शिक्षा के अधिक से अधिक अवसर प्रदान करने होंगे और इसके लिए वैश्विक नेताओं को आर्थिक रूप से अधिक प्रयास करने चाहिए।
इसके समानांतर आयोजित हुई ‘लॉरिएट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्ड्रन समिट’ (Laureates and Leaders for Children Summit) में नोबेल विजेताओं और वैश्विक नेताओं को संबोधित करते हुए काजल ने बालश्रम, बाल विवाह, बाल शोषण और बच्चों की शिक्षा को लेकर अपनी आवाज बुलंद की।
ये नामी हस्तियां थीं मौजूद
नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित लीमा जीबोवी, स्वीडन के पूर्व प्रधानमंत्री स्टीफन लोवेन और जानी-मानी बाल अधिकार कार्यकर्ता केरी कैनेडी समेत कई वैश्विक हस्तियां (Global Celebrities) मौजूद थीं।
‘लॉरिएट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्ड्रेन’ दुनियाभर में अपनी तरह का इकलौता मंच है, जिसमें नोबेल विजेता और वैश्विक नेता बच्चों के मुद्दों को लेकर जुटते हैं और भविष्य की कार्य योजना तय करते हैं।
यह मंच नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी (Kailash Satyarthi) की देन है। इसका मकसद एक ऐसी दुनिया का निर्माण करना है, जिसमें सभी बच्चे सुरक्षित रहें, आजाद रहें, स्वस्थ रहें और उन्हें शिक्षा मिले।
बाल मित्र ग्राम पंचायत की उपाध्यक्ष रही
काजल डोमचांच प्रखंड के मधुबन पंचायत में संचालित बाल मित्र ग्राम पंचायत (Village Panchayat) की उपाध्यक्ष रही है। एक बाल नेता के रूप में काम कर रही है। वर्ष 2014 में काजल स्कूल से ड्रापआउट हो गई थी।
जिसके बाद वह खदानों में माइका चुनने का काम करती थी । कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन से माइका माइंसों से मुक्त कराए जाने के बाद काजल ने फाउंडेशन के सहयोग से डोमचांच इंटर कॉलेज (Domchanch Inter College) से 12वीं की पढ़ाई पूरी कर स्नातक की पढ़ाई कर रही है।
फाउंडेशन (Foundation) की ओर से संचालित बाल मित्र परियोजना में काजल अपने पंचायत के बाल मित्र ग्राम की उप मुखिया भी चुनी गई थी। काजल ने कई Dropout बच्चो को माइका माइंस से मुक्त कराकर स्कूलों में नामांकन कराया है।
पुलिस में जाना चाहती है काजल
काजल ने पिछले दिनों नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी के उस ऐलान का भी समर्थन किया है, जिसमें उन्होंने ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ नाम से आंदोलन की बात कही है।
गांव को लोगों को सरकारी योजनाओं (Government Schemes) से जोड़ने की जिम्मेदारी भी काजल ने अपने कंधों पर ले ली । काजल अब तक 35 बच्चों को माइका माइंस के बाल मजदूरी के नर्क से आजाद करवा चुकी है और तीन बाल विवाह रुकवा चुकी है।
कोरोना काल में जब स्कूल बंद थे तब उसने बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा (Online Education) देने में अहम भूमिका निभाई। काजल का लक्ष्य पुलिस फोर्स में भर्ती होना है।