रांची: 22वें झारखंड स्थापना दिवस (Jharkhand Foundation Day) और बिरसा मुंडा जयंती को आदिवासी गौरव दिवस (Tribal Pride Day) के रूप मनाया जा रहा है।
इसी कड़ी के तहत जोहार ए झारखंड डांस ओडिसी (Johar E Jharkhand Dance Odissi) का आयोजन कला और संस्कृति विभाग, झारखंड द्वारा 18 नवंबर को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर (India International Center) के सहयोग से दिल्ली में किया गया था।
कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नृत्य मंडलों की ओर से मानभूम, छऊ और पाइका जनजातीय नृत्य रूपों का प्रदर्शन किया गया।
गुलाब सिंह मुंडा मंडली ने आदिवासी मार्शल आर्ट का प्रदर्शन करते हुए झारखंड के स्वदेशी लोक नृत्य पाइका का शानदार प्रदर्शन किया।
प्रभात महतो की मंडली ने पारंपरिक कला, मनभूम छऊ का प्रदर्शन किया
रंग-बिरंगी सजे धजे कलाकारों (Costumed Artists) ने हाथों में तलवारें, ढाल और पगड़ी में पंख लिए ढाक, नगाड़ा, शहनाई भीर और झुमका की थापों की ताल पर अपने पराक्रम का प्रदर्शन किया।
प्रभात महतो की मंडली (Prabhat Mahto’s Troupe) ने हाथ से बने मुखौटों और यूनेस्को की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के हिस्से का उपयोग करके प्रदर्शित की जाने वाली एक पारंपरिक कला, मनभूम छऊ का प्रदर्शन किया।
उन्होंने शहनाई, ढोल, नगाड़ा और झुमका की लाइव बीट्स पर महिषासुर मर्दिनी की लोकगाथा का मंचन कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया, कलाबाजी की चालें, खेल (मॉक कॉम्बैट तकनीक), चालीस और टोपका (पक्षियों और जानवरों की शैली वाली चालें) और मानव पिरामिड का प्रदर्शन कर झारखंड की संस्कृति की झलक दिखाकर लोगों को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया।