नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को उस वक्त कड़ा विरोध जताया, जब एक शर्टलेस व्यक्ति एक मामले की वीडियोकांफ्रेंस सुनवाई के दौरान संक्षिप्त अवधि के लिए स्क्रीन पर आ गया। इसी तरह की एक घटना 26 अक्टूबर को भी हुई थी।
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने इस घटना पर नाराजगी व्यक्त की और पाया कि कोरोनोवायरस महामारी के बीच वीडियोकांफ्रेंस के माध्यम से 7-8 महीने की अदालती सुनवाई के बाद भी ऐसी बातें सामने आ रही हैं।
जस्टिस राव ने जोर देकर कहा, यह कैसा व्यवहार है?
पीठ में न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता भी शामिल थे। पीठ दरअसल बाल संरक्षण गृहों में कोविड-19 के प्रसार से जुड़े एक मामले की सुनवाई कर रही थी।
कोरोनोवायरस के कारण लगे लॉकडाउन की शुरूआत के बाद से शीर्ष अदालत मामलों की सुनवाई वर्चुअली कर रहा है।