पटना: बिहार में सरकार की सख्ती का असर भी हड़ताल पर डटे जूनियर डॉक्टरों पर नहीं दिख रहा है। स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग को लेकर सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल सोमवार को छठे दिन भी जारी रही। इस बीच, मरीजों की स्थिति दयनीय हो रही है।
मरीज या तो अस्पताल से अपने घर जाने को विवश हैं या अस्पताल की बेड पर ही भगवान भरोसे पड़े हुए हैं।
इधर, पटना के सबसे बडे सरकारी अस्पताल पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीएमसीएच) प्रशासन ने हॉस्टल खाली करने का आदेश दिया गया है। जूनियर डॉक्टरों की एक ही मांग है कि उनका स्टाइपेंड बढ़ाया जाए।
हड़ताली डॉक्टरों का कहना है कि जनवरी 2020 से ही स्टाइपेंड बढ़ाया जाना था।
इस मांग पर डॉक्टर किसी भी सूरत में झुकने को तैयार नहीं है।
प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों के पीजी डॉक्टर पिछले छह दिनों से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं।
पीएमसीएच के जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. हरेंद्र कुमार ने सोमवार को बताया कि, कॉलेज प्रशासन से सोमवार को एकबार फिर बात हुई है। हालांकि अब तक हड़ताल का कोई हल नहीं निकला है।
उन्होंने एकबार फिर कहा कि जब तक उनकी मांगें नहीं पूरी होगी यह हड़ताल जारी रहेगी।
इधर, पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ. विमल कारक ने कहा कि कई बार जूनियर डॉक्टरों से बातकर हड़ताल समाप्त कर काम पर वापस आने का प्रयास किया गया, लेकिन वे अपनी मांग को लेकर अड़े हुए हैं।
इधर, राज्य के सभी नौ सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में हड़ताल के कारण ऑपरेशन और सर्जरी प्रभावित हुई हैं।
कुछ मामलों को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश ऑपरेशन को टाल दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने सख्ती करते हुए मेडिकल कॉलेज अस्पताल प्रशासन से नो वर्क नो पे के सिद्धांत के तहत हड़ताली डॉक्टरों की स्टाइपेंड काटने का निर्देश दिया है।