Jharkhand High Court : झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकार (झालसा) के तत्वावधान में रविवार झारखंड के LADC का प्रथम राज्य स्तरीय कार्यक्रम हुआ।
इस अवसर पर झालसा ने पहल करते हुए वृद्धाश्रम के कैदियों को कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए छह सप्ताह लंबा अभियान और झारखंड की जेलों में बंद गर्भवती महिला कैदियों को कानूनी सहायता प्रदान करने की कार्य योजना का शुभारंभ किया।
इस अवसर पर झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) के न्यायाधीश आनंद सेन ने कहा कि LADC पर पहली राज्य स्तरीय बैठक का हिस्सा बनना बहुत अच्छा है। प्रत्येक जिले के LADC और DLSA न्याय पाने और वंचितों के बीच के अंतर को पाट सकते हैं।
न्यायाधीश डॉ SN पाठक ने कहा कि झालसा का कार्य एवं कर्तव्य वंचित वर्ग को राहत देना है, जिन्हें कोई महत्व नहीं दिया गया है। बल्कि राज्य द्वारा दी गई कोई भी सुविधा उन तक नहीं पहुंची है। इसलिए उनकी देखभाल करना झालसा का परम कर्तव्य है।
Jharkhand High Court के न्यायाधीश एवं झालसा के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद ने कहा कि यह कानूनी सहायता रक्षा परामर्शदाताओं (LADC) की राज्य स्तर पर पहली बैठक है कि वे अपने कानूनी कौशल को कैसे बढ़ाएं और उनसे कैसे लाभ उठाएं ताकि कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के उद्देश्य और इरादे को हासिल किया जा सके।
उन्होंने कहा कि कानूनी सहायता की अवधारणा वर्ष 1987 में विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम (Legal Services Authority Act) बनाकर आई है।
इस कानून को लाने का कारण यह है कि राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों को कैसे प्राप्त किया जाए और लोगों को न्याय वितरण प्रणाली में लाने के उद्देश्य से अंतिम द्वार तक कैसे पहुंचा जाए।