नई दिल्ली: आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई नहीं हो सकी। जस्टिस यूयू ललित ने इस मामले पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। अब इस मामले पर वह बेंच सुनवाई करेगी, जिसके सदस्य जस्टिस यूयू ललित नहीं होंगे।
सुनवाई के दौरान जस्टिस यूयू ललित ने कहा कि पूर्व में वे जगनमोहन रेड्डी से जुड़े एक मामले में बतौर वकील पेश हो चुके हैं। एक याचिका वकील जीएस मणि ने दायर किया है और दूसरी याचिका वकील सुनील कुमार सिंह ने दायर की है।
जगनमोहन रेड्डी ने सुप्रीम कोर्ट के एक वरिष्ठ जज के खिलाफ चीफ जस्टिस को चिट्ठी लिखी थी। फिर उसे एक प्रेस कांफ्रेंस के ज़रिए सार्वजनिक भी करवाया था।
याचिका में कहा गया है कि जगनमोहन रेड्डी का आचरण संविधान के विरुद्ध, संदेहास्पद और अवमनानापूर्ण है। याचिका में कहा गया है कि न्यायपालिका पर लोगों का भरोसा खतरे में है।
इसे लेकर मीडिया में चर्चा चलेगी और न्यायपालिका की छवि को खराब करने की कोशिश की जाएगी। याचिका में कहा गया है कि उच्चतर न्यायपालिका के खिलाफ कोई भी शिकायत संसद या राज्य विधानसभाओं में की जाती है, प्रेस कांफ्रेंस के जरिये नहीं।
न्यायपालिका को संवैधानिक सुरक्षा इसलिए मिली है कि वो भयमुक्त होकर काम करे। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री न्यायपालिका का सम्मान करने के लिए बाध्य हैं लेकिन उन्होंने गैर जिम्मेदाराना बयान देकर न्यायपालिका की गरिमा को गिराने का काम किया है।