काबुल: अंतरराष्ट्रीय दबाव का असर अब तालिबान शासन पर दिखने लगा है। कट्टरपंथी संगठन ने अफगानिस्तान की महिलाओं के अधिकारों को लेकर नए आदेश जारी किए हैं।
नया आदेश कहता है कि अब महिलाओं को प्रॉपर्टी के रूप में नहीं देखा जाएगा। साथ ही अब शादी के लिए महिलाओं की भी सहमति लेना आवश्यक होगा
। हालांकि अभी महिलाओं की शिक्षा और कामकाज को लेकर कोई बात नहीं कही गई है। दरअसल अफगानिस्तान के आर्थिक हालात बिगड़ते जा रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने अफगानिस्तान को मिलने वाले सभी फंड रोक दिए हैं। ऐसे में तालिबान पर लगातार ये दबाव बनाया जा रहा था कि वो महिला अधिकारों के पक्ष में सकारात्मक निर्णय ले।
तालिबान प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा है- ‘महिलाएं प्रॉपर्टी नहीं हैं, बल्कि एक स्वतंत्र इंसान हैं।’ नए नियमों के मुताबिक अब महिलाओं पर शादी के लिए दबाव नहीं बनाया जा सकेगा।
साथ ही विधवा महिला को अपने पति की संपत्ति में हिस्सा दिया जाएगा। अब न्यायालयों को निर्णय देते वक्त नए आदेशों का खयाल रखना होगा।
हालांकि अभी तालिबान की तरफ से महिलाओं की शिक्षा और कामकाज को लेकर कोई निर्णय नहीं किया गया है।
अफगानिस्तान में तालिबान का शासन आने से पहले तक महिलाओं को भी पढ़ाई और कामकाज की छूट थी लेकिन तालिबान शासन में महिलाओं की पढ़ाई और कामकाज पर रोक लगा दी गई है।
इसे लेकर देश की सड़कों पर महिलाओं ने जमकर प्रदर्शन किया था। स्थिति यहां तक बिगड़ गई थी कि तालिबान ने महिलाओं के लिए फरमान जारी किया था कि वे इन दिनों घरों में ही रहें क्योंकि उसके कुछ लड़ाकों को महिलाओं का सम्मान करने के लिए प्रशिक्षित नहीं किया गया है।
तालिबान नेता अहमदुल्लाह वासेक ने कहा था कि जब तक महिलाएं हिजाब में रहेंगी तब तक उनके नौकरी करने को लेकर कोई परेशानी नहीं है. लेकिन उसका कहना था कि पर अब हम महिलाओं को तब तक घरों में रहने को कहेंगे जब तक कि हालात सामान्य नहीं हो जाते हैं।