गृह मंत्री अमित शाह की कानूनी समझ पर कपिल सिब्बल ने उठाया सवाल, जानिए क्या है मामला…

Central Desk

Kapil Sibal on Amit Shah: दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की अंतरिम जमानत पर Supreme Court के फैसले को विशेष छूट करार देने वाले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान को लेकर जानेमाने वकील सिब्बल ने उन्हें आड़े हाथों लिया और उनकी कानूनी समझ पर ही सवालिया निशान लगा दिया है।

राज्यसभा सांसद और वकील सिब्बल का कहना है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) की टिप्पणी बेहद आपत्तिजनक है। यदि गृह मंत्री को कानून की जानकारी होती तो वो ऐसी टिप्पणी कतई नहीं करते।

यहां सांसद सिब्बल ने संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा, कि अमित शाह ने बेहद आपत्तिजनक बयान दिया है। उन्होंने सीधे तौर पर सुप्रीम कोर्ट की मंशा पर ही सवाल उठाया है।

उन्होंने कहा कि कई लोग कहते हैं कि Arvind Kejriwal की अंतरिम जमानत सुप्रीम कोर्ट की तरफ से दी गई विशेष छूट है। उन्होंने बेहद चतुराई से, कई लोग कहते हैं। जैसा वाक्य इस्तेमाल किया है। आपने अपने बयान के दौरान इसे इसलिए इस्तेमाल किया क्योंकि आप उन लोगों पर विश्वास करते हैं।

सिब्बल ने कहा कि लोग कहते हैं के पीछे मत छिपिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि गृह मंत्री को कानून के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है, इसलिए इस प्रकार की टिप्पणी नहीं करनी चाहिए थी।

इसके साथ ही सिब्बल ने बकायदा उदाहरण देते हुए स्पष्ट कहा, कि उन्हें मैं आज समझाऊंगा कि यदि किसी को 2 से 3 साल से ज्यादा की सजा हो जाती है और यदि उसकी सजा पर रोक लग जाती है, तो वह नामांकन दाखिल कर सकता है और चुनाव भी लड़ सकता है।

यदि किसी पर Charge sheet दाखिल की जा रही है, तो वह प्रचार भी कर सकता है और नामांकन भी दाखिल कर सकता है। ठीक वैसे ही जैसे कि बृजभूषण के खिलाफ Charge sheet दाखिल है, तब वो अपने बेटे के लिए प्रचार क्यों कर रहे हैं? सवाल यही है कि जिस पर आरोप लगे हैं, वो प्रचार क्यों नहीं कर सकता?

इसके साथ ही शाह की समझ पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए सिब्बल ने कहा मेरा तो मानना यही है कि गृह मंत्री को कानून की इतनी समझ नहीं है। अगर उन्हें इस बारे में पता होता तो वह इस तरह का बयान नहीं देते।

यहां बतलाते चलें कि केंद्रीय गृह मंत्री Amit Shah ने अपने एक बयान में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट को कानून की व्याख्या करने का अधिकार है। मेरा मानना है कि यह कोई नियमित फैसला नहीं है। देश में बहुत से लोगों का मानना है कि विशेष छूट दी गई है।