नई दिल्ली: कर्नाटक सरकार (Government of Karnataka) ने मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय को आश्वासन दिया कि वह नौकरियों और शिक्षा के लिए OBC श्रेणी में 4 प्रतिशत मुस्लिम कोटा खत्म (Muslim Quota Over) करने के अपने 27 मार्च के फैसले पर कार्रवाई नहीं करेगी।
कर्नाटक सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Solicitor General Tushar Mehta) ने कहा कि वह दिन में जवाब दाखिल करेंगे।
न्यायमूर्ति के.एम. जोसेफ और बी.वी. नागरत्ना (KM Joseph and B.V. Nagaratna) की पीठ अब मामले की सुनवाई 9 मई को करेगी।
विवाद के लिए कोई पूर्वाग्रह नहीं होगा
शीर्ष अदालत ने आदेश दिया कि पहले की व्यवस्था सुनवाई की अगली तारीख तक जारी रहेगी, क्योंकि तुषार मेहता ने मामले में स्थगन की मांग की थी।
सॉलिसिटर जनरल (Solicitor General) ने कोर्ट से मामले की सुनवाई किसी और दिन करने की मांग की है।
पीठ ने कहा कि सॉलिसिटर जनरल के आश्वासन के अनुसार कोई नियुक्ति नहीं की जाएगी और किसी भी विवाद के लिए कोई पूर्वाग्रह नहीं होगा।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे (Dushyant Dave) ने मामले को स्थगित करने के मेहता के अनुरोध का विरोध करते हुए कहा कि सुनवाई पहले ही चार बार टाली जा चुकी है।
शीर्ष अदालत ने सुनवाई 25 अप्रैल तक के लिए टाल दी
दवे ने कहा कि वे फिर से ऐसा करेंगे और याचिकाकर्ता इससे प्रभावित होंगे। मेहता ने कहा कि अदालत द्वारा पारित अंतरिम आदेश पहले से ही याचिकाकर्ताओं के पास है।
मेहता ने 18 अप्रैल को कहा था कि कर्नाटक सरकार को अपना हलफनामा दाखिल करने के लिए और समय चाहिए। शीर्ष अदालत ने सुनवाई 25 अप्रैल तक के लिए टाल दी।
राज्य सरकार ने 13 अप्रैल को आश्वासन दिया था कि वह अपने 27 मार्च के आदेश के अनुसार न तो शिक्षण संस्थानों में प्रवेश देगी न ही नौकरियों पर नियुक्तियां करेगी।
कर्नाटक सरकार के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कर्नाटक सरकार द्वारा मुसलमानों के लिए 4 प्रतिशत OBC कोटा खत्म करने और उन्हें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) श्रेणी के तहत रखने के तरीके के खिलाफ कुछ कड़ी टिप्पणियां की थीं। इसमें कहा गया था कि निर्णय लेने की प्रक्रिया की नींव अत्यधिक अस्थिर और त्रुटिपूर्ण है।
शीर्ष अदालत ने कर्नाटक सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Solicitor General Tushar Mehta) से कहा था कि आपने जो आदेश पारित किया है, उससे यह प्रतीत होता है कि निर्णय लेने की प्रक्रिया की नींव अत्यधिक अस्थिर और त्रुटिपूर्ण है। यह एक अंतरिम रिपोर्ट पर है, राज्य एक अंतिम रिपोर्ट की प्रतीक्षा कर सकता था, इतनी जल्दी क्या है?
याचिकाकर्ताओं ने मुस्लिम कोटे को खत्म करने के कर्नाटक सरकार (Government of Karnataka) के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है।