बेंगलुरु: कर्नाटक उच्च न्यायालय ने राज्य निगरानी गृहों से लापता हुए 141 लड़कों पर राज्य सरकार से व्यापक रिपोर्ट मांगी है।
सामाजिक कार्यकर्ता के.सी. राजन्ना, की याचिका पर मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी और न्यायमूर्ति सूरज गोविंदराजू की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मंगलवार को यह आदेश दिया।
पीठ ने इस संबंध में महिला एवं बाल कल्याण विभाग और पुलिस विभाग को नोटिस जारी कर मामले में अगली सुनवाई की तिथि नौ मार्च तय की है।
पीठ ने सरकार से कहा है कि वह अगली सुनवाई के समय इस बात की जानकारी दें कि लापता 141 लड़कों को खोजने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं।
यह घटना एक आरटीआई आवेदन के माध्यम से सामने आई और याचिकाकर्ता ने इस मामले को लेकर उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
याचिकाकर्ता एस उमापति की ओर से पेश वकील ने कहा कि महिला एवं बाल कल्याण विभाग से आरटीआई के माध्यम से प्राप्त जानकारी के अनुसार 2015-16 से 2021 अक्टूबर की अवधि में 420 बच्चे लापता हैं। इनमें से 141 लड़कों का अभी पता नहीं चल पाया है। उन्होंने कहा कि पुलिस ने इस संबंध में कोई जांच भी नहीं की है।
किशोर न्याय अधिनियम के अनुसार, लापता बच्चों के मामलों से निपटने के लिए प्रत्येक पुलिस स्टेशन में एक अलग प्रकोष्ठ होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस मामले में संबंधित अधिकारियों की लापरवाही साफ नजर आ रही है।