Karnataka High Court : लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस का मेनिफेस्टो चर्चा में है। BJP इससे बड़ा मुद्दा बना रही है। इस बीच कर्नाटक हाई कोर्ट (Karnataka High Court) ने कांग्रेस द्वारा कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान लाए गए Manifesto पर अहम टिप्पणी की है।
कोर्ट ने कहा है कि विधानसभा चुनाव के दौरान मेनिफेस्टो में कांग्रेस द्वारा किए गए वादे गलत नीति के मामले हो सकते हैं, लेकिन जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत इसे भ्रष्ट आचरण नहीं कहा जा सकता।
याचिका खारिज
जस्टिस एमआई अरुण ने यह टिप्पणी कांग्रेस विधायक BZ जमीर अहमद खान के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया।
याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि कांग्रेस द्वारा किए गए वादे भ्रष्ट हैं और इसलिए चुनाव को रद्द कर दिया जाना चाहिए। Karnataka High Court में इस याचिका को शशांक जे श्रीधर ने दायर की थी।
अदालती सुनवाइयों पर रिपोर्ट करने वाली वेबसाइट ‘Bar and Bench’ के अनुसार, याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा, ”भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पांच गारंटी को सोशल वेलफेयर पॉलिसीस के रूप में माना जाना चाहिए।
वे आर्थिक रूप से सही हैं या नहीं, यह पूरी तरह से एक अलग पहलू है। यह अन्य दलों को दिखाना है कि किस प्रकार उक्त योजनाओं का कार्यान्वयन राज्य के खजाने के दिवालियापन के समान है।
यह संभव है कि मामले के दिए गए तथ्यों और परिस्थितियों के तहत उन्हें गलत नीतियां कहा जा सकता है, लेकिन भ्रष्ट आचरण नहीं कहा जा सकता।”