Supreme Court : अब तक राज्य सरकारों और गवर्नर के बीच के विवाद की खबर सामने आती रहती है। पहली बार इस संदर्भ में राष्ट्रपति भवन (President’s House) भी जुड़ गया है। केरल सरकार ने अपनी तरह का अनोखा कदम उठाया है।
पी विजयन सरकार ने Supreme Court में याचिका दायर की है, जिसमें कहा गया है कि राष्ट्रपति उनके चार बिलों को पास नहीं कर रहीं। जबकि इन विधेयकों को राज्य विधानसभा पास कर चुकी है।
केरल सरकार ने जिन 4 बिलों को जिक्र किया है, उनमें यूनिवर्सिटी लॉज (Amendment) (नंबर 2) बिल 2021, द केरल सरकार Co-Operative Societies (संशोधन) बिल 2022, द यूनिवर्सिटी लॉज (Amendment) बिल 2022 और द यूनिवर्सिटी लॉज (Amendment) (नंबर 3) बिल 2022 हैं।
केरल सरकार ने ये भी कहा है कि बिना कोई कारण बताए इन बिलों को असंवैधानिक करार दे दिया गया है। केरल की पी विजयन की अगुआई वाली LDF सरकार ने याचिका में केंद्र सरकार, राष्ट्रपति के सचिव, केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और उनके अतिरिक्त सचिव को पार्टी बनाया है।
पहले तो विधेयक लंबे समय तक राज्यपाल के पास रहे। इसके बाद बिल राष्ट्रपति के पास विचार के लिए भेजे गए। राष्ट्रपति ने भी बिना कोई कारण बताए इन्हें अपने पास लंबित रखा।
यह संविधान के Article 14 (कानून के सामने सभी समान) का उल्लंघन है। ये बिल पूरी तरह से केरल राज्य के अधिकार क्षेत्र में हैं। भारत संघ की तरफ से राष्ट्रपति को चार विधेयकों पर बिना कोई कारण बताए अनुमति रोकने के लिए दी गई सलाह भी मनमानी है और आर्टिकल 14 का उल्लंघन है। अतः इसमें शीर्ष अदालत को हस्तक्षेप करना चाहिए।