खरगोन : मध्य प्रदेश के खरगोन में रामनवमी पर हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद लगाए गए कर्फ्यू में रविवार को पहली बार एक साथ चार घंटे की ढील गई। यह ढील सुबह 8 से 12 बजे तक थी।
इस दौरान वाहनों को इजाजत नहीं दी गई थी। लोगों को पैदल ही बाजार जाकर खरीदारी करनी पड़ी। इस दौरान यहां एक शादी भी हुई। कर्फ्यू में चार घंटे की ढील मिली तो दूल्हा पैदल ही बारात लेकर निकल पड़ा।
न बैंड-बाजा था और न घोड़ी, न बाराती। दूल्हा-दुल्हन और चंद परिजनों की मौजूदगी में यह शादी संपन्न हो गई।
खरगोन में रामनवमी पर तालाब चौक से ही पथराव की शुरुआत हुई थी। तालाब चौक शहर का सबसे संवेदनशील इलाका है। यहां रहने वाले अमन कर्मा की जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर कसरावद निवासी श्वेता से 17 अप्रैल को शादी होना तय हुई थी।
बारात पैदल ही शहर के बाहर तक गई
परिजनों ने बताया कि चार महीने से शादी की तैयारियां चल रही थीं। हर मां-बाप की ख्वाहिश होती है कि उसकी बेटी या बेटे की शादी धूमधाम से हो, लेकिन कर्फ्यू के कारण ऐसा नहीं हो पाया। हालांकि, खुशी की बात है कि रविवार को कर्फ्यू में चार घंटे की ढील मिलने के कारण तय समय पर शादी हो गई।
दूल्हे अमन कर्मा ने बताया कि रविवार को प्रशासन की तरफ से सुबह 8 से दोपहर 12 बजे तक कर्फ्यू में ढील दी गई थी। इससे काफी राहत मिली।
यह कमी जरूर खल रही है कि शादी में कई दोस्त और रिश्तेदार नहीं आ पाए। बारात पैदल ही शहर के बाहर तक गई और फिर वहां से कसरावद के लिए गाड़ियां की।
दूल्हे के साथ उनकी बहन पायल, मां सीमा, पिता आलोक और कुछ रिश्तेदार ही इस बारात में साथ थे। दुल्हन की बहन पायल का कहना है कि अच्छा तो नहीं लग रहा है, लेकिन शादी के लिए बहुत सारी तैयारियां की थीं।
इसलिए यह शादी हो गई। शादी की सभी रस्में आस-पास के कुछ लोगों की मौजूदगी में पूरी कीं। रिसेप्शन कर्फ्यू के कारण निरस्त करना पड़ा।