कारीगरों को आर्थिक और तकनीकी सहयोग उपलब्ध कराया जायेगा: खूंटी DC

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खूंटी: उपायुक्त शशि रंजन ने बुधवार को कर्रा प्रखण्ड का दौरा कर जरियागढ़ गांव में दम तोड़ रहे पारंपरिक कांसा-पीतल बर्तन उद्योग से जुड़े कारीगरों से मुलाकात की और उनकी समस्याओं से रू ब रू हुए।

डीसी ने कांसा व पीतल बर्तनों का निर्माण कर रहे कसेरा जाति के आर्थिक विकास व कौशल संवर्धन के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की।

जरियागढ़ गांव में कुल 120 परिवार कांसा व पीतल बर्तन के निर्माण कार्य से जुड़े हुए हैं। जेएसएलपीएस के माध्यम से यहां उत्पादक समूहों का गठन किया गया है।

साथ ही उन्हें संगठित रूप से योजनाओं से जोड़ने के कार्य किये जा रहे हैं। कांसा व पीतल निर्मित बर्तनों के निर्माण में कांसा प्लेट, पीतल की प्लेट, कांसा कटोरी, पीतल का करछुल (कलचुल), पान (कढ़ाई), पीतल के मग और कांच, क्रॉक पोटा (डेक्ची) और अन्य पीतल और कांसे के बर्तन शामिल हैं।

समाज में इन बर्तनों को व्यापक स्तर पर प्रयोग किया जाता है। शादी-विवाह, धार्मिक अनुष्ठानों व त्योहारों में इन बर्तनों का बड़े पैमाने पर प्रयोग किया जाता है।

वहीं अधिकांश लोग भी कांसे व पीतल के बर्तनों का इस्तेमाल शुद्धता अनुभव करने के लिए करते हैं।

इस दौरान कारीगरों की समस्याओं के सम्बंध में भी चर्चा की गयी। उपायुक्त द्वारा बताया गया कि उन्हें सरकार की कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ा जाएगा।

साथ ही मुख्यमंत्री आजीविका संवर्धन योजना से जोड़कर उन्हें लाभ दिया जायेगा। कारीगरों के आर्थिक विकास एवं कौशल संवर्धन के लिए उत्पादों को पलाश ब्रांड के जरिए उचित बाजार उपलब्ध कराने पर विशेष रूप से विचार विमर्श किया गया और संबंधित अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिए गए।

उपायुक्त द्वारा सम्बन्धित पदाधिकारी को निर्देश दिया गया कि कारीगरों को तकनीकी सहयोग उपलब्ध कराते हुए उन्हें कल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिया जाय।