TMC And MLAs took oath: पश्चिम बंगाल विधानसभा (Vidansabha) के अध्यक्ष द्वारा पिछले सप्ताह तृणमूल कांग्रेस के दो नव-निर्वाचित विधायकों को शपथ (Oath) दिला देने के बावजूद उनके सदन की कार्यवाही में भागीदारी को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है।
बराहनगर से जीत दर्ज करने वाली सायंतिका बनर्जी और भगवानगोला से विजयी उम्मीदवार रेयात हुसैन सरकार ने विधायक पद की शपथ तो ले ली है लेकिन राज्यपाल ने इसे संविधान के खिलाफ बताया है।
कारण, उन्होंने विधानसभा के उपाध्यक्ष आशीष बनर्जी को शपथ ग्रहण के लिए मनोनीत किया था जबकि उनकी जगह पर अध्यक्ष विमान बनर्जी ने उन्हें शपथ
दिला दी है। इसके खिलाफ राज्यपाल ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर कहा है कि यह संविधान के विपरीत किया गया काम है।
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि राज्यपाल की मंजूरी के बिना विधानसभा में उनकी भागीदारी या बैठने को लेकर संविधान में एक प्रावधान है, जो एक आर्थिक दंड से जुड़ा हुआ है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 193 के अनुसार, राज्यपाल को प्रतिदिन 500 रुपये के आर्थिक दंड लगाने का अधिकार है।
हाई कोर्ट के वकील सुनील राय ने कहा कि अनुच्छेद 193 के अनुसार, “यदि कोई व्यक्ति अनुच्छेद 188 की आवश्यकताओं का पालन करने से पहले या यह जानते
हुए कि वह अयोग्य है या संसद या राज्य विधानसभा के किसी कानून द्वारा ऐसा करने से निषिद्ध है, विधान सभा या विधान परिषद का सदस्य के रूप में बैठता या
मतदान करता है, तो उस प्रत्येक दिन के लिए उस पर पांच सौ रुपये का दंड लगाया जाएगा, जिसे राज्य के प्रति देय ऋण के रूप में वसूला जाएगा।”
कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, विधानसभा अध्यक्ष विमान बनर्जी ने ‘नियमावली’ के अध्याय दो की धारा पांच के प्रावधानों के तहत सदन के एक दिवसीय विशेष सत्र
में नए विधायकों को शपथ दिलाई थी। हालांकि, यह संदेहास्पद है कि वह आने वाले दिनों में दोनों विधायकों को सदन की कार्यवाही में भाग लेने की अनुमति किस हद तक दे पाएंगे।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि भले ही कार्यवाही में भागीदारी के प्रत्येक दिन के लिए 500 रुपये का जुर्माना मामूली राशि हो, लेकिन यह मामला विधायकों और उनकी पार्टी के लिए शर्मिंदगी का कारण बन रहा है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि दोनों विधायक और उनकी पार्टी इस आर्थिक दंड और कानूनी अड़चन का सामना कैसे करते हैं।
अब यह गतिरोध कब तक जारी रहेगा, यह राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के कार्यालय पर निर्भर करेगा, जहां राज्यपाल और अध्यक्ष दोनों ने इस मामले में अपने-अपने पत्र भेजे हैं।