नई दिल्ली: उत्तराखंड के चमोली जिले में आई बाढ़ का कारण बर्फ की विशाल चट्टान के बरसों तक जमे रहने और पिघलने के कारण उसके कमजोर पड़ने से वहां शायद कमजोर जोन का निर्माण हुआ होगा जिससे अचानक सैलाब आ गया।
यह अंदेशा वाडिया हिमालय भू विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों ने शुरुआती तौर पर जताया है।
उन्होंने कहा कि हिम चट्टान ढहने के दौरान अपने साथ मिट्टी और बर्फ के टीले भी लेकर आयी। इस घर्षण से संभवत: गर्मी उत्पन्न हुई जो बाढ़ आने की वजह बनी होगी।
संस्थान के वैज्ञानिकों ने विनाशकारी बाढ़ के कारणों का सुराग हासिल करने के लिए इलाके का हेलीकॉप्टर से सर्वेक्षण किया।
अचानक आई बाढ़ में अभी तक 31 लोगों की मौत हुई है और तकरीबन 170 लोग लापता हैं। डब्ल्यूआईएचजी के निदेशक कलाचंद सैन ने कहा कि जहां घटना घटित हुई है वहां हिमखंड ऋषि गंगा नदी को पानी देते थे जो धौली गंगा में जा कर मिलती है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में सीधा ढाल है।
उनका मानना है कि हिमखंड जमे रहने और हिमद्रवण के कारण कमजोर हो गया होगा। इस वजह से कभी-कभी कमजोर जोन का विकास होता है और घर्षण होता है।
उन्होंने कहा कि हिमखंड के कमजोर होने से, हिमखंड और बर्फ ढह कर नीचे आ गई जिस वजह से अचानक बाढ़ आ गई।
क्षेत्र के पर्वतों में सीधे ढलानों ने हिमखंड के गिरने की तीव्रता को बढ़ा दिया। डब्ल्यूआईएचजी की दो टीमें जोशीमठ के लिए रवाना हुई थी ताकि घटना के कारणों का पता लगाया जा सके।