पटना: केंद्र के तीनों कृषि कानूनों की वापसी की मांग को लेकर बुधवार को पटना में भाकपा माले सहित अन्य वाम दलों के आह्वान पर सभा आयोजित की गई तथा प्रधानमंत्री का पुतला फूंका गया।
इस कार्यक्रम में भाकपा-माले, भाकपा और सीपीएम के अलावा राजद के नेताओं ने भी भाग लिया। भाकपा (माले) महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य, राजद नेता आलोक मेहता, सीपीआई के नेता कन्हैया कुमार, सीपीएम के राज्य सचिव अवधेश कुमार, माले के राज्य सचिव कुणाल सहित बड़ी संख्या में वाम दलों के नेता व कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
प्रतिरोध सभा में बड़ी-बड़ी तख्तियों के साथ माले व वाम दलों के नेता-कार्यकर्ता दिल्ली किसान आंदोलन के समर्थन में नारे लगाए और तीनों कानूनों की वापसी की मांग की।
सभा के बाद बुद्धा स्मृति पार्क से डाकबंगला चौराहा तक प्रतिरोध मार्च निकला गया तथा उसके बाद डाकबंगला चौराहा पर प्रधानमंत्री का पुतला फूंका गया।
इस मौके पर माले महासचिव ने कहा कि, वार्ता के नाम पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों को अपमानित किया है। एक तरह का पैटर्न बन गया है कि सरकार पहले ऐसे आंदोलनों को दबाती है, गलत प्रचार करती है, दमन अभियान चलाती है, लेकिन फिर भी जब आंदोलन नहीं रूकता, तब कहती है कि यह सबकुछ विपक्ष के उकसावे पर हो रहा है।
उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि, कृषि कानूनों के बारे में सरकार कह रही है किसान इसे समझ नहीं पा रहे हैं, तो क्या पंजाब जैसे विकसित प्रदेशों के किसानों को अब खेती-बाड़ी सीखने के लिए आरएसएस की शाखाओं में जाना होगा।
वामदलों के नेताओं ने कहा कि, मोदी सरकार और बिहार की नीतीश सरकार घोर किसान विरोधी है। आज पूरा पंजाब सरकार के खिलाफ लड़ रहा है। कल पूरा देश मोदी सरकार के खिलाफ लड़ेगा।
नेताओं ने कहा, नीतीश सरकार केवल डींगे हांकती है, लेकिन उसने 2006 में ही अपने यहां मंडियों को खत्म कर दिया था। आज बिहार के किसानों की हालत सबसे खराब है। आने वाले दिनों में बिहार में भी किसान आंदोलन का नया ज्वार आएगा।
विपक्षी नेताओं ने कहा कि समय रहते सरकार ने तीनों कानूनों को वापस नहीं लिया, तो पूरे बिहार में आंदोलन चलाया जाएगा।