नई दिल्ली: पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह और चीन आने वाले वर्षों में भारत-अमेरिका सुरक्षा सहयोग पर अपना ध्यान केंद्रित करेंगे।
अमेरिका के प्रतिष्ठित एक थिंक टैंक की ओर से किए गए हालिया अध्ययन में यह बात सामने आई है।
अमेरिका के प्रतिष्ठित थिंक टैंक एवं शोध संस्थान ब्रूकिंग्स इंस्टीट्यूशन ने अपने एक अध्ययन में कहा है कि ऐसी संभावना है कि आने वाले समय में साझा आतंकवादवाद हितों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, जिसमें विशेष रूप से अल-कायदा और इस्लामिक स्टेट समूह जैसे अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी समूह शामिल रहेंगे।
ऐसी आशंका जताई गई है कि विशेष रूप से अल-कायदा और इस्लामिक स्टेट जैसे अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी समूहों के साथ ही लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और जैश-ए-मुहम्मद (जेईएम) जैसे पाकिस्तान-आधारित समूहों के अलावा चीनी खतरों के बारे में जानकारी का आदान-प्रदान किया जाएगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका को भारत के साथ अपनी खुफिया साझेदारी की स्थिति की समीक्षा करनी चाहिए, जिसका उद्देश्य सहयोग को और अधिक संस्थागत बनाने के अवसरों की पहचान करना है।
पिछले दशक में अमेरिका-भारत खुफिया सहयोग काफी परिपक्व हुआ है।
वर्तमान में, अमेरिका भारत को संभावित आतंकवादी गतिविधियों या अन्य बड़े खतरों के प्रति सचेत करते हुए ड्यूटी टू वॉर्न के तहत खुफिया और चेतावनी नोटिस जारी करता है।
फिलहाल दोनों देशों के बीच एक मौजूदा तंत्र है, जिसे यूएस-इंडिया काउंटर टेररिज्म ज्वाइंट वर्किं ग ग्रुप एंड डेजिगनेशन डायलोग के नाम से जाना जाता है, जो कि दोनों पक्षों के विश्लेषणात्मक, परिचालन और कानूनी विशेषज्ञों को एक मंच पर लेकर आने का काम करता है।
भारत के साथ गुप्त रूप से खुफिया जानकारी साझा करने के लिए, जो पारस्परिक रूप से लाभप्रद हैं, दोनों देशों को पारस्परिकता (आदान-प्रदान) की रणनीति अपनानी होगी।
रिपोर्ट में कहा गया है, पारस्परिकता स्थायी और संरचित खुफिया एक्सचेंजों के केंद्र में है और संग्रह अंतराल (क्लेक्शन गैप) को भरने पर केंद्रित द्विपक्षीय समन्वय को नियमित करने से दोनों देश अधिक सार्थक आदान-प्रदान की नींव रख सकते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रपति जो बाइडन के नेतृत्व में नए प्रशासन को पहला कदम यह सुनिश्चित करने के लिए उठाना चाहिए कि उसकी इंटरनल कलेक्शन प्राथमिकताओं की समीक्षा सुनिश्चित हो सके।
उदाहरण के लिए, नेशनल इंटेलिजेंस प्रायरिटीज फ्रेमवर्क (एनआईपीएफ), जिसे ऑफिस ऑफ द डायरेक्टर ऑफ नेशनल इंटेलिजेंस (ओडीएनआई) द्वारा प्रबंधित किया जाता है, इस बात पर स्पष्ट रूप से केंद्रित है कि चीन इस क्षेत्र में अमेरिका और भारतीय हितों के लिए तेजी से खतरा पैदा कर रहा है।
चीन के संबंध में, सार्वजनिक रिपोटिर्ंग बताती है कि हालिया सीमा संकटों के प्रबंधन में मदद के लिए अमेरिका भारत को खुफिया समर्थन देने में सक्रिय रहा है।