रविवार या सोमवार कब से शुरू हो रहा है सावन? जानिए सावन महीने से जुड़े सभी सवालों के जवाब

अधिकतर लोगों के मन में यह सवाल उठ रहे हैं कि इस साल सावन की शुरुआत 21 जुलाई से हो रही है या फिर 22 जुलाई से। तो चलिए आपकी समस्या हम दूर करते हैं

News Desk

Sawan 2024 Starting: हिंदू धर्म में सावन महीने का बेहद ही अधिक धार्मिक महत्व होता है। श्रावण मास को साल का सबसे पवित्र महीना माना जाता है। मान्यता है कि सावन के महीने में सच्ची श्रद्धा भाव से पूजा अर्चना करने से हर मनोकामना पूरी होती है।

वहीं सावन के महीने में सोमवार के दिन का और भी अधिक महत्व होता है। यही कारण है कि श्रावण मास (Shravan month) में सोमवार के दिन का बहुत महत्व होता है। और इस वर्ष की खास बात ये है कि श्रावण मास की शुरुआत सोमवार के दिन हो रही है।

अधिकतर लोगों के मन में यह सवाल उठ रहे हैं कि इस साल सावन की शुरुआत 21 जुलाई से हो रही है या फिर 22 जुलाई से। तो चलिए आपकी समस्या हम दूर करते हैं।

इस साल सावन महीने की शुरुआत 22 जुलाई 2024 से हो रही है। वहीं श्रावण मास की पूर्णिमा 19 अगस्त 2024 को होगी। अब अगर बात की जाए 21 जुलाई की तो इस दिन आषाढ़ मास की पूर्णिमा है। 21 जुलाई को गुरु पूर्णिमा के तौर पर मनाया जाएगा।

21 जुलाई से सावन का भ्रम

दरअसल, हिंदू कैलेंडर (Hindu calendar) के मुताबिक श्रावण के प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 21 जुलाई को दोपहर 3 बजकर 47 मिनट पर होगी, वहीं इसका समापन 22 जुलाई को दोपहर 1 बजकर 11 मिनट पर होगी।

यही कारण है कि लोगों के मन में श्रावण की तारीख को लेकर भ्रम बना हुआ है। ऐसे में ज्योतिषाचार्यों की मानें तो 22 जुलाई को ही श्रावण मास की शुरुआत माना जाएगा। अगर पूजा मुहूर्त की बात की जाए तो 22 जुलाई के दिन प्रातःकाल से दोपहर 1 बजकर 11 मिनट तक पूजा कर सकते हैं।

क्यों खास होता है सावन का महीना

इस पावन मास में भक्त माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करते हैं। श्रावण मास में श्रद्धालु सोमवार के दिन व्रत रखते हैं और भगवान शिव की शुद्ध मन से पूजा करते हैं। अविवाहित बालिकाएं श्रावण के हर मंगलवार को मंगला गौरी का व्रत रखती हैं।

कुछ महिलाएं मनचाहा जीवनसाथी पाने के लिए सोमवार व्रत करती हैं और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।

सावन महीने के दौरान कांवड़ यात्रा भी बहुत प्रसिद्ध है, जिसमें भक्त पवित्र गंगा के पास अलग अलग धार्मिक स्थानों पर भी जाते हैं और वहां से गंगाजल लाकर शिवरात्रि के दिन भगवान शिव को चढ़ाते हैं। मान्यता है कि इस महीने में किए गए दान और पुण्य का फल कई गुना बढ़ जाता है।