Burning Incense Sticks is Inauspicious: अगरबत्ती (Incense Sticks) को जलाकर पूजा-पाठ या अन्य धार्मिक अनुष्ठान में उपयोग किया जाता है, तो इसमें लोग मानते हैं कि यह वातावरण को शुद्ध करता है और चित्त को शांति प्रदान करता है।
इस प्रथा को बखूबी स्वीकार किया गया है, हालांकि शास्त्रों (Scriptures) के अनुसार अगरबत्ती बनाने में बांस की लकड़ी का उपयोग होता है और बांस को जलाना वर्जित माना गया है।
शास्त्रों के अनुसार क्या कहा जाता है?
शास्त्रों के अनुसार, बांस की लकड़ी को जलाने से वंश का विनाश होता है और इससे पितृ दोष भी लग सकता है। भारतीय वास्तु शास्त्र में बांस की लकड़ी को शुभ माना जाता है, जैसे कि भगवान कृष्ण के हाथों में बांस से बनी बांसुरी को देखा जा सकता है।
इसे मुंडन, जनेऊ और अन्य अनुष्ठानों में प्रयोग किया जाता है, जबकि शादी में इसका इस्तेमाल मंडप बनाने के लिए किया जाता है। इस तरह बांस की लकड़ी का उपयोग प्राचीन समय से ही होता आया है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
वैज्ञानिकों के मुताबिक, बांस की लकड़ी में लेड और अन्य धातुएं होती हैं जो जलने से वातावरण को दूषित कर सकती हैं। इसमें इन धातुओं की Oxidation होती है और इसके परिणामस्वरूप नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है जो वातावरण के लिए हानिकारक हो सकती है।
इसके अलावा, बांस को जलाने से इसकी धातुओं के अंश हवा में बने रहते हैं और यह शरीर के अंदर भी प्रवेश कर सकते हैं, जो कि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
इससे स्पष्ट होता है कि अगरबत्ती को जलाने का प्रथागत और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी अपना महत्व है। यह धार्मिक अनुष्ठानों में विश्वास और आधुनिक विज्ञान के बीच एक संतुलन स्थापित करता है, जो समाज के विभिन्न पहलुओं को समझने में मदद करता है।