अगर आप जीवन में सफलता हासिल करना चाहते हैं तो आपको योजना के अनुसार काम करते हुए अपनी ताकत और कमजोरियों का सही आंकलन करन होगा।
इसके अलावा लक्ष्य हासिल करने के दौरान धैर्य बनाये रखना होगा। इसके साथ ही सहनशीलता और विनम्रता को व्यवहार का हिस्सा बनाना होगा।
अगर आप विनम्रता हैं तो तभी अब आपकी सहायता करेंगे। ऐसे में आज जो भी नौकरी और कारोबार मदद मांगते वक्त विनम्रता बेहद आवश्यक है।
ऐसा कुछ न करें जिसका आपको गुस्सा उतरने के बाद पछतावा हो
हर अवसर का ज्यादा से ज्यादा लाभ उठाना चाहिए। आपके पास कोई छोटा मौका हो तो उसका भी सही समय पर लाभ उठाएं। इसी तरह यदि आपके पास कम संसाधन भी हों तब भी आप सफल रहेंगे।
इस एक कहानी के माध्यम से समझें एक कारोबारी के चार पुत्र थे। जब चारों बड़े हो गए तो व्यापारी ने संपत्ति की जिम्मेदारी अपने बेटों को सौंपने का विचार किया।
वह ऐसे पुत्र को सारी संपत्ति देना चाहता था, जो उसकी अहमियत समझे। कारोबारी ने सभी चारों को अपने पास बुलाया और सभी को पांच—पांच धान के बीज दिए।
उन्होंने कहा कि वह पांच साल बाद इसके बारे में पूछेंगे और जिसके जवाब से संतुष्ट होंगे उसे संपत्ति दी जाएगी।
पहले बेटे ने उन बीजों को थोड़ी देर बाद ही फेंक दिया। उसने सोचा कि जब पिता पांच साल बाद इसके बारे में पूछेंगे तो वह दूसरे धान के बीज दिखा देगा। आखिर कोई अंतर कैसे कर पाएगा।
दूसरे बेटे ने उसमें से चावल के दाने निकाल कर खा लिया। उसने भी यह फैसला किया जब पांच साल बाद मांगा जाएगा तो वह अन्य दाने दे देगा।
तीसरे बेटे ने उसे एक चांदी के डिब्बे में पैक करके रख दिया। वह रोज इस डिब्बे की पूजा करता।
उसने सोचा कि जब पिता जी इसके बारे में पूछेंगे तो वह उन्हें निकालकर दिखा देगा। वह लगातार पांच साल तक ऐसा करता रहा।
अब आई चौथे बेटे की बारी। वह उन धान के बीज को अपने खेत में लेकर गया और उसे बो दिया।
जितनी भी फसल होती, वह उसे दोबारा बो देता और इस तरह पांच साल बाद काफी मात्रा में चावल इकट्ठा हो गया।
पांच साल पूरे होने के बाद पिता ने चारों बेटों को अपने पास बुलाया और धान के बीज के बारे में पूछा।
सभी के जवाब सुनने के बाद पिता ने तय कि वह अपनी संपत्ति चौथे बेटे को दी क्योंकि उसने उन धान के बीजों का सही तरीके से इस्तेमाल कर उन्हें काफी बढ़ा दिया था।
आशय ये है कि छोटे से काम को भी आप लगन और मेहनत से आगे बढ़ा सकते हैं।