भाषायी व मजहबी विविधता हमारे लोकतंत्र की बड़ी ताकत : तोमर

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नई दिल्ली: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मंगलवार को कहा कि भाषायी व मजहबी विविधता हमारे लोकतंत्र की बड़ी ताकत है और हिंदी हमारी एकता की परिचायक है।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का कामकाज अधिक से अधिक हिंदी में होना चाहिए और इसे गंभीरता से लेने की आवश्यकता है।

तोमर की अध्यक्षता में यहां कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की संयुक्त हिंदी सलाहकार समिति की बैठक हुई।

बैठक में तोमर ने कहा कि कृषि मंत्रालय से देशभर के किसान जुड़े हुए हैं, जिन्हें योजनाओं व कार्यक्रमों का लाभ राजभाषा के उपयोग के माध्यम से अच्छे से पहुंचाया जा सकता है।

उन्होंने कृषि अनुसंधान को भी किसानों तक हिंदी में अधिकाधिक पहुंचाने पर जोर दिया, ताकि कृषि क्षेत्र में नीचे गांव-गांव तक इसका लाभ सभी को मिल सके।

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तोमर ने कहा, राजभाषा हिंदी के प्रति हम सब के मन में सम्मान है और इस बात की महती आवश्यकता है कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक यह सम्मान निरंतर बढ़े ताकि हमारी एकता ज्यादा मजबूत हो।

भाषायी व मजहबी विविधता हमारे लोकतंत्र की बड़ी ताकत है। हिंदी हमारी एकता की परिचायक है।

केंद्र सरकार का कामकाज अधिक से अधिक हिंदी में होना चाहिए और इसे गंभीरता से लेने की आवश्यकता है।

तोमर ने कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग में बनाए जा रहे सरल हिंदी शब्द कोष का कार्य समय-सीमा में पूरा करने के लिए दिशा-निर्देश दिए।

इस मौके पर कृषि राज्यमंत्री परषोत्तम रूपाला ने कहा कि सरल हिंदी का उपयोग किया जाए और इसका सभी अनुपालन करे तो राष्ट्रभाषा का गौरव बढ़ेगा।

राष्ट्रभाषा के माध्यम से देशभक्ति के भाव प्रबल होते हैं।

वहीं, कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि देश के अधिकांश राज्यों में हिंदी बोली व समझी जाती है, ऐसे में किसानों को सारी जानकारी हिंदी में मिलेगी तो उन्हें आसानी होगी।

कार्यक्रम को बतौर समिति के सदस्य, सांसद सुनीता दुग्गल, डॉ. रामबोध पांडे और विजय कुमार के अलावा कृषि सचिव संजय अग्रवाल एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्र ने भी अपने विचार रखे।

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