झारखंड में 45 सरकारी बीमा कार्यालयों पर लटका ताला

Central Desk
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रांची: झारखंड में 45 सरकारी बीमा कार्यालयों (Government Insurance office) पर ताला लटक गया है। यानि कि अब ये कार्यालय नहीं खुलेंगे। 

जिन सरकारी बीमा कार्यालयों को बंद किया गया उनमें साधारण बीमा (जनरल इंश्योरेंस) कंपनी द ओरियंटल इंश्योरेंस, द न्यू इंडिया, नेशनल इंश्योरेंस और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस (The Oriental Insurance, The New India, National Insurance and United India Insurance) शामिल है।राज्य में 15 शाखा और 30 एकल कार्यालय शामिल है।

जबकि, देश भर में लगभग 1,000 कार्यालयों को बंद किया गया है। इन सभी कार्यालयों को बीते नौ माह के दौरान बंद किया गया है। वहीं कर्मचारियों को दूसरे जगह भेज दिया है।

बताया जाता है कि वित्त मंत्रालय के प्रस्ताव के बाद प्रबंधकीय खर्च घटाने और बिजनेस परफॉर्मेंस के बहाने कार्यालय बंद किये जा रहे हैं।

झारखंड में 45 सरकारी बीमा कार्यालयों पर लटका ताला - Lock hanging on 45 government insurance offices in Jharkhand

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झारखंड के इन जिलों में कार्यालय को किये गये बंद

जानकारी के अनुसार, ओरियंटल इंश्योरेंस ने रांची में दो और बोकारो में एक शाखा कार्यालय को बंद किया है। वहीं, द न्यू इंडिया ने रांची और धनबाद में एक-एक शाखा कार्यालय, नेशनल इंश्योरेंस ने छह और यूनाइटेड इंडिया ने चार शाखा कार्यालयों को बंद कर दिया है।

कोडरमा, चाईबासा, चास समेत अन्य जगहों पर संचालित केवल एक शाखा कार्यालयों को भी बंद कर दिया है। वहीं, कई एकल कार्यालय भी बंद हो गये हैं। इससे ग्राहकों को सेवा लेने में काफी परेशानी हो रही है।

झारखंड में 45 सरकारी बीमा कार्यालयों पर लटका ताला - Lock hanging on 45 government insurance offices in Jharkhand

बिजनेस परफॉर्मेंस और प्रबंधकीय खर्च घटाने के लिए वित्त मंत्रालय ने लिया फैसला

इस्टर्न जोन जेनरल इंश्योरेंस इंप्लाइज एसोसिएशन के अध्यक्ष सत्यनारायण प्रसाद ने कहा कि सरकारी साधारण बीमा कंपनियों में लगभग 41,500 कर्मचारी कार्यरत हैं।

वित्त मंत्रालय का प्रस्ताव है कि एक बीमा कंपनी में 5,000 कर्मचारी रखे जायें। जबकि, एक कंपनी के कार्यालयों की संख्या देश भर में 500 से अधिक नहीं हो।

सरकार कर्मचारियों की संख्या अधिकतम 20,000 करने व कार्यालयों की संख्या अधिकतम 2,000 करने में लगी हुई है। कार्यालयों का बिजनेस परफॉर्मेंस बेहतर होने के बाद भी वैसे कार्यालयों को बंद कर दिया जा रहा है। जबकि, नीति आयोग का प्रस्ताव है कि एक कंपनी का निजीकरण कर दिया जाये। बिजनेस परफॉर्मेंस और प्रबंधकीय खर्च घटाने के बहाने यह कदम उठाये जा रहे हैं।

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