लंदन: ओमिक्रॉन को लेकर अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया है कि वैक्सीन का बूस्टर डोज 85 फीसदी तक ओमिक्रॉन को गंभीर होने से रोकता है।
यानी अगर किसी व्यक्ति को बूस्टर डोज दिया जाता है तो उसमें कोरोना संक्रमण के बाद अस्पताल में भर्ती होने या फिर मौत का खतरा 85 प्रतिशत तक कम हो जाएगा।
स्टडी का कहना है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट पर सामान्य दो डोज वाली वैक्सीन का पूर्ववर्ती वैरिएंट्स के मुकाबले कम असर होता है।
इंपीरियल कॉलेज ऑफ लंदन द्वारा की गई ये स्टडी अभी ओमिक्रॉन पर मिली शुरुआती जानकारी पर आधारित है। दुनियाभर में अभी ओमिक्रॉन पर रिसर्च जारी है और एक्सपर्ट ये जानने की कोशिश कर रहे हैं कि ओमिक्रॉन का संक्रमण कितना गंभीर हो सकता है।
इससे पहले हांगकांग में हुई एक स्टडी में सामने आया है कि डेल्टा और कोविड-19 के मूल स्वरूप की तुलना में ओमिक्रॉन 70 गुना तेजी से संक्रमित करता है लेकिन इससे होने वाले रोग की गंभीरता काफी कम है।
अध्ययन में इस बारे में सूचना दी गई है कि ओमिक्रॉन स्वरूप किस तरह से मानव के श्वसन तंत्र को संक्रमित करता है। हांगकांग विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि ओमिक्रॉन, डेल्टा और मूल सार्स-कोवी-2 की तुलना में 70 गुना तेजी से संक्रमित करता है।
कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वेरिएंट की वजह से दुनिया भर में संक्रमण दरों में तेजी से इजाफा हो रहा है, लेकिन कोविड-19 की पिछली लहरों की तुलना में कम लोगों की मौत हुई है या फिर उन्हें अस्पताल में इलाज की आवश्यकता भी कम पड़ी है।
दक्षिण अफ्रीका के एक्सपर्ट डॉ रयान नोच के मुताबिक ओमिक्रॉन वेरिएंट से संक्रमित मरीजों में खांसी और गले में खराश के हल्के लक्षण होते हैं।
सबसे आम शुरुआती संकेत गले पर खराश के निशान थे। इसके बाद नाक का भरा होना, सूखी खांसी और पीछे के निचले हिस्से की मांसपेशियों में दर्द ओमिक्रॉन के संकेत थे।