लंदन: ओमीक्रोन का कम आक्रामक होना अभी के लिए अच्छी खबर है, लेकिन यह एक ‘‘विकासवादी गलती’’ का नतीजा है, क्योंकि कोरोना बहुत प्रभावी तरीके से फैल रहा है।
इसके हल्के होने की कोई वजह नहीं है, जो यह संकेत देता है कि अगला स्वरूप अधिक संक्रामक हो सकता है।
हाल के अध्ययन में पाया गया कि ब्रिटेन में व्यापक रूप से फैल चुके और भारत में तेजी से फैल रहा संक्रमण का यह स्वरूप फेफड़ों में पाए जाने वाली कोशिकाओं को कम संक्रमित कर रहा है लेकिन वायरस के हल्के पड़ने के आसार नहीं है।
यह अनुमान है कि वायरस समय के साथ हल्के पड़ जाते हैं, लेकिन दीर्घकालीन विकासवादी प्रवृत्तियों के कारण ऐसा नहीं हो रहा है।
सार्स-सीओवी-2 (COVID-19) की यह दिक्कत नहीं है, क्योंकि बहुत प्रभावी तरीके से फैल रहा है,तब इसके हल्के पड़ने की कोई वजह नहीं है, खासतौर से टीकाकरण के युग में।
इसकारण मुझे लगता है, कि यह एक विकासवादी भूल है।’’ उन्होंने कहा,ओमीक्रोन का कम आक्रामक होना जाहिर तौर पर अभी के लिए अच्छी खबर है लेकिन अगले आने वाले स्वरूप में जरूरी नहीं कि ऐसा होगा और यह इतना खतरनाक हो सकता है जो पहले कभी नहीं देखा गया हो।
’’ वैज्ञानिक ने ब्रिटेन सरकार को सलाह दी कि टीकाकरण अभियान महत्वपूर्ण है क्योंकि यह संक्रमण के खिलाफ बचाव का हमारा पहला हथियार है।
भारत में ओमीक्रोन स्वरूप के असर पर कहा, भारत में डेल्टा संक्रमण के काफी मामले आए तो वहां कुछ प्रतिरक्षा बनी है।
उन्होंने जो टीके बनाए हैं, वे बहुत अच्छे हैं। हम जानते हैं कि ओमीक्रोन पर टीकों का असर नहीं पड़ता है और तीसरी खुराक देना अनिवार्य है।’